Navratri Special 2025 : सप्तम दिवस – मां कालरात्रि

29 Sep 2025 08:22:47
"एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥"

Maa KalaratriImage Source:(Internet) 
 
नवरात्रि (Navratri) के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। वे शक्ति का सबसे उग्र और भयानक स्वरूप मानी जाती हैं। उनका रूप भले ही भयावह प्रतीत होता है, पर वे भक्तों को सदैव कल्याण और सुरक्षा प्रदान करती हैं। मां कालरात्रि की उपासना से साधक के जीवन से सभी भय, शत्रु और बाधाएँ दूर हो जाती हैं।
 
मां कालरात्रि का महत्व
माँ कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत अद्भुत और प्रभावशाली है। उनका रंग श्याम (काला) है, बाल बिखरे हुए हैं और उनका वाहन गधा है। वे चार भुजाओं वाली हैं एक हाथ में वज्र और दूसरे में तलवार धारण करती हैं, जबकि बाकी दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में रहते हैं। वे नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत और दुष्ट शक्तियों का नाश करती हैं। उनके पूजन से साधक को कठिनाइयों से मुक्ति और सफलता का आशीर्वाद मिलता है।
 
पूजा-विधि और अर्पण
इस दिन प्रातः स्नान कर भक्त मां कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से शुद्ध करते हैं। उन्हें रात में पूजना अधिक फलदायी माना जाता है। मां को लाल या नीले फूल प्रिय हैं, और गुड़ का भोग विशेष रूप से अर्पित किया जाता है। साधक "ॐ देवी कालरात्र्यै नमः" मंत्र का जाप करते हैं। इस दिन की साधना से भक्त के जीवन में साहस और आत्मविश्वास का संचार होता है तथा सभी प्रकार की बाधाएँ समाप्त होती हैं।
 
आध्यात्मिक संदेश
मां कालरात्रि का संदेश है कि जीवन में भय और अंधकार केवल भ्रम है। यदि हम अपने भीतर के साहस और विश्वास को जागृत करें तो कोई भी शक्ति हमें डिगा नहीं सकती। उनका स्वरूप यह शिक्षा देता है कि सच्चा भक्त भयमुक्त होकर धर्म और सत्य के मार्ग पर चलता है। माँ कालरात्रि यह भी बताती हैं कि हर अंधकार के बाद उजाला अवश्य आता है। सप्तमी की साधना साधक को निडर, दृढ़ और आत्मविश्वासी बनाती है।
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