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नागपुर :
पितृ पक्ष के समाप्त होते ही नागपुर नवरात्रि (Navratri) की रंगीन और भक्ति से भरी रौनक में डूब गया। सोमवार, 22 सितंबर से शहर में रोशनी, संगीत और उत्साह की भरमार है। मंदिर और पंडाल अपनी भव्य सजावट के साथ जगमगा रहे हैं, जबकि बाजारों में पितृ पक्ष की दो सप्ताह की शांति के बाद खरीदारी की हलचल शुरू हो गई है। नौ रातों तक चलने वाला यह पर्व भक्तों और शहरवासियों के लिए उत्साह, भक्ति और सांस्कृतिक आनंद का प्रतीक बन गया है।
मंदिरों में भक्ति और सुरक्षा का अनोखा संगम
कोराडी स्थित ऐतिहासिक श्री महालक्ष्मी जगदंबा मंदिर में इस नवरात्रि रिकॉर्ड तोड़ 5,551 कलश और निरंतर जलती हुई ज्योत ने भक्तों को भक्ति में लीन कर दिया है। मंदिर में 250 सीसीटीवी कैमरे, पब्लिक एड्रेस सिस्टम और वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं तथा दिव्यांगों के लिए विशेष क्षेत्र सुनिश्चित किए गए हैं, ताकि दर्शन सुचारू और सुरक्षित हो। इसके अलावा, सुभाष रोड स्थित आग्याराम देवी मंदिर ने पारंपरिक मिट्टी के कलशों की जगह 3,000 तांबे के कलश सजाकर एक अनोखी भक्ति छवि पेश की है। पारडी का भवानी मंदिर और प्रताप नगर का दुर्गा मंदिर भी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था कर रहे हैं।
बाजारों में नवरात्रि के साथ खरीदारी की रौनक
नवरात्रि केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि नागपुर में यह अनौपचारिक शॉपिंग सीज़न की शुरुआत भी करता है। पितृ पक्ष की शांत अवधि के बाद व्यापारी बिक्री में उछाल की उम्मीद कर रहे हैं। इस दौरान वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन और कीमती धातु पर विशेष छूट और ऑफर मिल रहे हैं। शहर के प्रमुख बाजार उत्सवी खरीदारी के लिए सज गए हैं, जहां श्रद्धालु भक्ति और संस्कृति के साथ खरीदारी का आनंद भी ले रहे हैं।
पंडालों में सृजनात्मकता और भक्ति का मेल
नागपुर के दुर्गा उत्सव मंडल इस नवरात्रि शहरवासियों को अपनी रचनात्मक सजावट, elaborate lighting, भक्ति संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से मंत्रमुग्ध कर रहे हैं। रानी लक्ष्मीबाई दुर्गा उत्सव मंडल, लक्ष्मी नगर ने “Wheels of Divine Light” थीम के साथ प्रकाश के चक्रों के माध्यम से आशा, सकारात्मकता और ज्ञान का संदेश दिया। नेहरू पुतला पार्क (इतवरी का माउली) बंगाल की परंपराओं से प्रेरित पंडाल में माहूर की रेणुका देवी और मां पृथ्वी को दर्शा कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा है। शिव नगर दुर्गा माता मंडल, खमला ने पौराणिक कथाओं और जुरासिक पार्क थीम को मिलाकर बच्चों और वयस्कों दोनों का ध्यान खींचा।
शाम को नगाड़ों की गूंज और नवरात्रि का समापन
शहर के सक्करदरा पंडाल में नरक लोक का दृश्य दिखाया गया है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। रविनगर का चारधाम मंडल भक्तों को भारत के चार प्रमुख धामों की प्रतीक यात्रा का अनुभव कराता है। हर शाम शहर के मोहल्लों में भजन, गरबा की थाप और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की गूंज सुनाई देती है। यह उत्सव 3 अक्टूबर को नवरात्रि चंडी यज्ञ, महाप्रसाद और भव्य विसर्जन के साथ समाप्त होगा, जो अच्छाई की जीत का उत्सव है।