नागपुर मनपा पर आवारा कुत्तों के प्रति क्रूरता के आरोप

10 Sep 2025 22:17:31

NMC Stray dogs
 (Image Source-Internet)
नागपुर।
शहर में आवारा कुत्तों (Stray dogs) के बढ़ते हमलों के बाद नागपुर महानगरपालिका (एनएमसी) ने पकड़ धकड़ अभियान तेज किया है। परंतु इस कार्रवाई के पीछे अमानवीयता की परतें उजागर हो रही हैं। नागरिकों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पकड़े गए कुत्तों को न तो पर्याप्त भोजन-पानी मिल रहा है और न ही चिकित्सा सुविधा। रिपोर्टों के अनुसार, अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले केनेल में कई कुत्ते भूख-प्यास से तड़पकर दम तोड़ देते हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि "एनएमसी कुत्तों को नियंत्रित करने के नाम पर क्रूरता को हथियार बना रहा है।"

अपरिचित क्षेत्रों में छोड़े जा रहे कुत्ते, बढ़ रहा खतरा
धरमपेठ, मानेवाड़ा और जरीपटका के नागरिकों ने आरोप लगाया है कि अधिकांश कुत्ते अपने मूल इलाकों में लौटते ही नहीं, बल्कि अधिकारियों द्वारा अनजान बस्तियों में छोड़ दिए जाते हैं। वहाँ वे स्थानीय झुंडों से भिड़ते हैं और कई बार मौत के शिकार हो जाते हैं। मानेवाड़ा निवासी ने कहा, “अपरिचित क्षेत्रों में कुत्तों को फेंकना न सिर्फ अमानवीय है बल्कि खतरनाक भी।” यह प्रक्रिया **एनिमल बर्थ कंट्रोल (डॉग्स) रूल्स 2001** और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ मानी जा रही है, जो सिर्फ नसबंदी और टीकाकरण को ही कानूनी उपाय बताते हैं। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि एनएमसी ने इन मूल उपायों की अनदेखी कर त्वरित लेकिन अमानवीय रास्ता अपनाया है।
 
पारदर्शिता की कमी और बढ़ता विवाद
वरिष्ठ निगम अधिकारी दावा करते हैं कि उनकी टीम नियमों के तहत काम कर रही है, लेकिन यह सवाल जस का तस है कि कितने कुत्तों को पकड़ा गया, कितनों की नसबंदी हुई, कितनों को छोड़ा गया और कितने मरे—इनका कोई सार्वजनिक रिकॉर्ड नहीं है। कार्यकर्ताओं का कहना है, “असल समस्या कुत्ते नहीं, बल्कि अधिकारियों की विफलता है।” विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि इस तरह के उपाय ‘वैक्यूम इफेक्ट’ पैदा करते हैं, जिसमें नई, बिना टीका लगी आबादी इलाके में प्रवेश करती है और रेबीज व काटने की घटनाओं का खतरा और बढ़ जाता है। लगातार विरोध को देखते हुए कार्यकर्ता अब फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। तब तक हर हफ़्ते पकड़े जा रहे सैकड़ों कुत्तों का भविष्य भूख, प्यास या हिंसक मौत की ओर धकेला जा रहा है।
 
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