- अनशन और सरकार का फैसला
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एबी न्यूज़ नेटवर्क।
मराठा (Maratha) आरक्षण को लेकर एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है। अनशनकारी मनोज जरांगे पाटिल ने मुंबई में बड़ा आंदोलन करते हुए मराठा समुदाय को ओबीसी से आरक्षण देने की मांग की। इसके बाद सरकार ने हैदराबाद गजेटियर का एक जीआर जारी कर उनकी कई मांगें स्वीकार कर लीं। अब, कुनबी होने का प्रमाण देने वाले मराठा समुदाय के लोगों को ओबीसी प्रमाणपत्र प्राप्त करने का रास्ता मिल गया है। साथ ही, तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठा समुदाय को एसईबीसी श्रेणी से 10 प्रतिशत आरक्षण की पेशकश की थी। इस तरह, मराठा समुदाय के सामने दो विकल्प मौजूद हैं – एसईबीसी या ओबीसी, जबकि ईडब्ल्यूएस कोटे में उन्हें अब अवसर नहीं मिलेगा।
एमपीएससी परिणामों ने खोली सच्चाई
हाल ही में घोषित महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग (एमपीएससी) राज्य सेवा मुख्य परीक्षा के नतीजों ने आरक्षण व्यवस्था की नई तस्वीर पेश की है। इसमें ओपन कैटेगरी की मेरिट 507.50 रही, जबकि एसईबीसी की 490.75, ओबीसी की 485.50, एससी की 445.75 और ईडब्ल्यूएस की 445 अंक रही। इन आंकड़ों से यह साफ है कि मराठा समुदाय को ईडब्ल्यूएस से बाहर कर देने के बाद भविष्य की प्रतियोगी परीक्षाओं में ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों के लिए कट-ऑफ कम रहने की संभावना है। ऐसे में ओपन कैटेगरी और ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों के लिए नए अवसर बन सकते हैं, वहीं मराठा उम्मीदवारों को अब केवल एसईबीसी या ओबीसी विकल्प ही मिलेगा।
ओबीसी में प्रतिस्पर्धा बढ़ने के आसार
सरकार के इस फैसले के बाद बड़ी संख्या में मराठा-कुनबी उम्मीदवार ओबीसी श्रेणी की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसे में ओबीसी में प्रतिस्पर्धा और कठिन हो जाएगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले समय में ओबीसी की मेरिट ओपन कैटेगरी के बराबर या उससे भी ज्यादा जा सकती है। यह स्थिति वैसी ही हो सकती है जैसी पहले से एससी, एसटी, वीजे और एनटी श्रेणियों में देखी जाती रही है। प्रतियोगी परीक्षा समन्वय समिति, महाराष्ट्र राज्य द्वारा साझा किए गए आंकड़े इस बदलाव के असर को और स्पष्ट करते हैं।
ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों के लिए राहत
चूँकि मराठा समुदाय को एसईबीसी श्रेणी में समाहित कर दिया गया है, इसलिए ईडब्ल्यूएस श्रेणी की प्रतिस्पर्धा अब अपेक्षाकृत कम हो जाएगी। ऐसे में ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों को कम अंक पर भी चयन मिलने की संभावना बढ़ेगी। हाल ही में घोषित नतीजे इस बात का प्रमाण हैं कि 445 अंकों पर भी ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों का चयन हुआ है। दूसरी ओर, ओबीसी श्रेणी में बढ़ती भीड़ से वहां मेरिट का स्तर और ऊपर जा सकता है। इस प्रकार, मराठा समुदाय का ईडब्ल्यूएस आरक्षण खत्म होना न सिर्फ उनकी राजनीति बल्कि राज्य की प्रतियोगी परीक्षा प्रणाली को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगा।