कर्नाटक सरकार सक्रिय
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एबी न्यूज़ नेटवर्क।
काठमांडू (Kathmandu), नेपाल में जारी भारी अशांति और हिंसक प्रदर्शनों के बीच 30 कन्नड़िगा काठमांडू एयरपोर्ट पर फंसे हुए हैं। इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य की मुख्य सचिव शालिनी राजनीश को तत्काल कार्रवाई करने और फंसे हुए यात्रियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने बताया है कि नेपाल में मौजूद सभी कन्नाडिगा सुरक्षित हैं और उनकी स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार, मुख्य सचिव और दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन के रेजिडेंट कमिश्नर लगातार संपर्क में हैं।
विदेश मंत्रालय से समन्वय
राज्य सरकार के अधिकारियों ने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय (एमईए) के अधिकारियों से भी चर्चा की है ताकि समय रहते सभी यात्रियों को सुरक्षित भारत लाया जा सके। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निर्देशानुसार त्वरित कदम उठाए जा रहे हैं और अलग-अलग समूहों में मौजूद कन्नड़िगाओं से संपर्क साधा गया है। अधिकारियों ने आश्वस्त किया है कि उनकी सुरक्षित वापसी की पूरी जिम्मेदारी ली गई है और इसके लिए कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है।
नेपाल में हिंसक प्रदर्शन और गिरफ्तारियां
उधर, नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों ने व्यापक हिंसक रूप ले लिया है। ‘द हिमालयन टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार रात से बुधवार सुबह तक नेपाल सेना ने देशभर से 27 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों पर लूटपाट, आगजनी और हिंसा फैलाने के आरोप हैं। सुरक्षाबलों ने गाउसाला-चाबहिल-बौद्ध कॉरिडोर से 3.37 मिलियन नेपाली रुपये नकद बरामद किए हैं। साथ ही, कुल 31 विभिन्न प्रकार के हथियार, मैगजीन और गोला-बारूद भी जब्त किए गए हैं। काठमांडू से 23 और पोखरा से 8 हथियार बरामद किए गए। सेना ने बताया कि झड़पों में घायल 23 नेपाल पुलिसकर्मी और तीन आम नागरिक सैन्य अस्पतालों में इलाजरत हैं।
### कर्फ्यू और निषेधाज्ञा लागू
बढ़ते तनाव को देखते हुए नेपाल सेना ने देशभर में निषेधाज्ञा लागू कर दी है। सेना के जनसंपर्क और सूचना निदेशालय द्वारा बुधवार को जारी बयान के अनुसार, निषेधाज्ञा शाम 5 बजे तक प्रभावी रहेगी और इसके बाद गुरुवार सुबह 6 बजे से राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लागू कर दिया जाएगा। हालात के मुताबिक आगे के फैसले लिए जाएंगे। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन ‘सितल निवास’ को भी आग के हवाले कर दिया। साथ ही, पूर्व प्रधानमंत्री झलानाथ खनाल के आवास को जलाया गया जिसमें उनकी पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार गंभीर रूप से झुलस गईं और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
सोशल मीडिया बैन से भड़के प्रदर्शनकारी
प्रदर्शन की शुरुआत 8 सितंबर को हुई जब नेपाल सरकार ने टैक्स और साइबर सुरक्षा के नाम पर प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाया। इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए युवाओं, खासकर ‘जेन-जेड’ वर्ग ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार, पक्षपात और गैर-जिम्मेदाराना शासन व्यवस्था का अंत होना चाहिए। अब तक हुई झड़पों में कम से कम 19 लोगों की मौत हो चुकी है और 500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा है। काठमांडू और कई बड़े शहरों में धुआं और भय का माहौल कायम है। इस अशांति के बीच भारत और कर्नाटक सरकार की प्राथमिकता अपने नागरिकों को सुरक्षित देश वापस लाना है।