- मुंबई में फिर गरमाया मराठा आंदोलन
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एबी न्यूज़ नेटवर्क।
मुंबई एक बार फिर मराठा (Maratha) आरक्षण आंदोलन की चपेट में है। मराठा आरक्षण के लिए आंदोलनकारी नेता मनोज जरांगे पाटील ने एक बार फिर मुंबई में आमरण अनशन शुरू कर दिया है। यह उनका दूसरा दिन है और महाराष्ट्र के कोने-कोने से लाखों की संख्या में मराठा समाज के लोग वाहनों से मुंबई पहुंचे हैं। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के आने से दक्षिण मुंबई में भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई है। वहीं आंदोलन को लेकर माहौल तनावपूर्ण होता जा रहा है और राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।
राज ठाकरे ने ठानी भूमिका
इस बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने मराठा आरक्षण पर अपनी प्रतिक्रिया दी। राज ठाकरे ठाणे दौरे पर थे, जहां उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों से मुलाकात की। मीडिया ने जब उनसे मराठा आंदोलन और आरक्षण पर सवाल पूछा तो उन्होंने सीधा कहा कि इस मुद्दे का जवाब केवल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही दे सकते हैं। ठाकरे ने कहा – "पूछो एकनाथ शिंदे से कि मनोज जरांगे दोबारा क्यों आए। पिछली बार जब शिंदे नवी मुंबई गए थे तो उन्होंने समस्या हल करने का दावा किया था। अब जब आंदोलन फिर शुरू हुआ है तो मुंबईकरों को हो रही परेशानी का जवाब भी वही देंगे।" इस तरह ठाकरे ने शिंदे सरकार को घेरने की कोशिश की।
अमित शाह और शिंदे की बैठक
मराठा आंदोलन के बीच केंद्र और राज्य सरकार की भी हलचल तेज हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच सह्याद्री गेस्ट हाउस में करीब एक घंटे लंबी बैठक हुई। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में मराठा आरक्षण पर विस्तार से चर्चा हुई। खासकर मनोज जरांगे की प्रमुख मांग – मराठों को ओबीसी आरक्षण से हिस्सा देने की – पर विचार-विमर्श किया गया। बताया जा रहा है कि अमित शाह और शिंदे ने इस संवेदनशील मुद्दे को किस तरह मध्यस्थता कर सुलझाया जाए, इस पर रणनीति बनाई।
नगर निगम चुनाव भी चर्चा में
जानकारी यह भी सामने आई है कि अमित शाह और एकनाथ शिंदे के बीच आगामी नगर निगम चुनाव को लेकर भी बात हुई। मुंबई, ठाणे और पुणे जैसे बड़े महानगरों के चुनाव राज्य की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में मराठा आरक्षण का मुद्दा चुनावी समीकरणों पर सीधा असर डाल सकता है। एक ओर जहां मराठा समाज आरक्षण की मांग पर अडिग है, वहीं ओबीसी वर्ग इसका विरोध कर रहा है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार और केंद्र किस तरह इस जटिल मुद्दे का समाधान निकालते हैं। फिलहाल, राज ठाकरे के तीखे बयान से शिंदे सरकार पर दबाव और बढ़ गया है।