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मुंबई :
मराठा आरक्षण (Maratha reservation) आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांगे पाटिल ने मंगलवार (27 अगस्त) को अंतरवाली सराटी से मुंबई की ओर कूच किया। इस दौरान वह शिवनेरी किले पहुंचे और मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मराठा समाज के बच्चों को न्याय देने की अपील की। उन्होंने कहा कि आरक्षण का मुद्दा अब टलने वाला नहीं है और मुख्यमंत्री को समाज का दर्द समझकर सहयोग करना होगा। जरांगे ने साफ कहा कि फडणवीस को मराठों की मांगें पूरी करनी होंगी और अपने हठी रवैये को त्यागना होगा।
“शिवनेरी की सीढ़ियों से आपको वचन देता हूं…”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जरांगे ने भावुक अपील करते हुए कहा कि रायगढ़ और शिवनेरी से ही उन्हें प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश का पालन करते हुए आंदोलन के लिए अनुमति मांगी गई थी, लेकिन सरकार ने केवल एक दिन की अनुमति दी, जो मराठा समाज के साथ मजाक है। जरांगे ने फडणवीस को संबोधित करते हुए कहा – “शिवनेरी की पायरी से आपको वचन देता हूँ, यह मौका आपके पास है। आप हमारे दुश्मन नहीं हैं, बस मराठा विरोधी रुख छोड़ दीजिए। यदि आप हमारी मांगें लागू करते हैं तो मराठा समाज जीवन भर आपकी कृपा नहीं भूलेगा।”
मराठा समाज की प्रमुख मांगें
जरांगे पाटिल ने शिवनेरी से पांच स्पष्ट मांगें सामने रखीं। पहली मांग है कि ‘मराठा कुनबी एक हैं’ इस सिद्धांत को लागू किया जाए, वरना समाज मुंबई छोड़ने वाला नहीं है। दूसरी मांग में उन्होंने हैदराबाद गजेटियर लागू करने की बात दोहराई, जिसके अध्ययन में समाज ने 13 महीने लगाए हैं। तीसरी मांग ‘सगे-सोयरे’ की परिभाषा को लेकर है, जिसके अंतर्गत जिस व्यक्ति का कुनबी रिकॉर्ड मिले, उसका सगे-सोयरे को भी उसी जाति में मान्यता दी जाए। चौथी मांग में आंदोलनकारियों पर दर्ज मामलों की वापसी की बात कही गई, क्योंकि आरक्षण के लिए संघर्ष में समाज के अनेक लोग बलिदान दे चुके हैं। पाँचवीं और अंतिम मांग यह है कि मराठा समाज को कानूनी दायरे में रहकर आरक्षण दिया जाए।
फडणवीस के लिए आखिरी मौका?
जरांगे पाटिल ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास अब भी मराठा समाज का विश्वास जीतने का अवसर है। उन्होंने कहा कि सरकार ने केवल एक दिन के आंदोलन की अनुमति दी है, जबकि असली समाधान तभी संभव है जब मांगें लागू हों। जरांगे ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि न्याय नहीं मिला तो मराठा समाज शांत नहीं बैठेगा। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन मराठा बच्चों के भविष्य के लिए है और जब तक न्याय नहीं मिलता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।