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एबी न्यूज़ नेटवर्क।
पालघर जिले के तारापुर (Tarapur) औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक दवा निर्माण फैक्ट्री में गुरुवार दोपहर अचानक जहरीली गैस का रिसाव होने से चार मजदूरों की मौत हो गई। इस हादसे में बेहोश हुए छह मजदूरों को बोइसर के शिंदे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार से पहले ही चार की मौत हो गई। मृतकों में सहायक प्रबंधक कल्पेश राऊत (38), बंगाली ठाकुर (38), धनंजय प्रजापति (30) और कमलेश यादव (30) शामिल हैं। वहीं प्रोडक्शन मैनेजर रोहन शिंदे (35) और निलेश हादल (32) का निजी अस्पताल के आईसीयू में इलाज जारी है और उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
परिजनों का प्रबंधन पर आक्रोश
हादसे की खबर लगते ही मृतकों के परिजन और रिश्तेदार बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंचे और फैक्ट्री प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। मृतक कमलेश यादव के भाई ने बताया कि फैक्ट्री में सुरक्षा उपकरणों की भारी कमी थी और गैस रिसाव के बाद प्रभावित मजदूरों को अस्पताल पहुंचाने में एक से डेढ़ घंटे की देरी की गई। इस बीच विधायक राजेंद्र गावित, पुलिस अधीक्षक यतीश देशमुख, उपविभागीय पुलिस अधिकारी विकास नाइक और पुलिस निरीक्षक शिरीष पवार ने फैक्ट्री और अस्पताल का दौरा कर जानकारी ली।
फैक्ट्री प्रबंधन पर केस दर्ज
शुक्रवार सुबह चारों मृतकों के शवों का पोस्टमार्टम तारापुर ग्रामीण अस्पताल में किया गया और बाद में परिजनों को सौंप दिया गया। इस मामले में बोइसर पुलिस स्टेशन में अपराध क्रमांक 364/2025 के तहत फैक्ट्री प्रबंधन के निदेशक सोहेल खत्री, मुख्य वित्तीय अधिकारी देवेंद्र भगत, प्रोजेक्ट हेड धर्मेश पटेल और मेंटेनेंस इंजीनियर शुभम ठाकुर पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 304(2), 337, 338, 284, 287 सहित कई धाराएं शामिल हैं। इस घटना की जांच औद्योगिक व स्वास्थ्य संचालन विभाग, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल और पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से की जा रही है।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी से हादसा
मेडली फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड कंपनी में एल्बेंडाजोल दवा के उत्पादन के दौरान यह हादसा हुआ। जांच में सामने आया है कि फैक्ट्री प्रबंधन ने जहरीली गैसों और खतरनाक रसायनों के उपयोग के बावजूद कोई सुरक्षा उपाय नहीं अपनाए। कंपनी को रिएक्टर नंबर 101 की दीवार में रिसाव की जानकारी होने के बावजूद उसकी मरम्मत नहीं की गई और मशीनरी को नजरअंदाज कर मजदूरों से काम करवाया गया। इतना ही नहीं, फैक्ट्री में न तो सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति की गई और न ही मजदूरों को जीवन रक्षक प्रशिक्षण दिया गया। प्रबंधन की इस गंभीर लापरवाही के चलते चार निर्दोष मजदूरों की जान चली गई और बाकी मजदूरों की जान खतरे में पड़ गई।