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नागपुर।
शहर में आवारा कुत्तों (Stray dogs) की समस्या वर्षों से नागरिकों के लिए गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। कई कानूनी प्रावधान और बार-बार जारी निर्देशों के बावजूद शहर में इस समस्या पर प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है। नागपुर बेंच, बॉम्बे हाईकोर्ट ने अब सवाल उठाया है कि इस समस्या को रोकने में अभी तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया और जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए। न्यायालय इस मामले में दायर याचिका की सुनवाई कर रहा था, जिसमें 'uncontrolled stray dogs' के खतरे को उजागर किया गया। सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने कहा कि मार्गदर्शिकाएं और नियंत्रण के लिए तंत्र उपलब्ध हैं, फिर भी प्रशासन ने निर्णायक कदम नहीं उठाए। कोर्ट ने नगर निगम और पुलिस अधिकारियों से 9 सितंबर तक विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है।
नागरिकों की सुरक्षा और जल्द कार्रवाई की मांग
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आवारा कुत्तों की अनियंत्रित वृद्धि समाज के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। उन्होंने तत्काल प्रभाव से इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की। हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद नागरिक अब उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन जिम्मेदारी के साथ और मजबूत कार्रवाई करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि समय रहते उचित कदम न उठाने पर न केवल नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ेगी, बल्कि शहर की सार्वजनिक व्यवस्था भी प्रभावित होगी। इसके चलते न्यायालय की सख्त टिप्पणी ने नगर निगम और पुलिस प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया है ताकि वे आवारा कुत्तों की समस्या पर स्थायी और प्रभावी समाधान निकालें।