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ठाणे।
महाराष्ट्र में बढ़ते भाषा विवाद के बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कई कार्यकर्ताओं को ठाणे में निकाले गए विरोध मार्च के दौरान पुलिस ने हिरासत में लिया। राज्य सरकार का कहना है कि शुरुआत में राज ठाकरे की पार्टी को इस प्रदर्शन की अनुमति दी गई थी, लेकिन बाद में रूट को लेकर अड़ने के कारण अनुमति रद्द कर दी गई। बावजूद इसके, MNS ने ठाणे में रैली निकालने का फैसला किया। इसके चलते प्रशासन ने बड़े जमावड़े पर रोक लगाने के लिए धारा 144 लागू कर दी। हिरासत में लिए जाने के बाद MNS नेताओं ने राज्य सरकार पर “मराठी लोगों की आवाज दबाने” का आरोप लगाया।
रूट को लेकर सरकार और MNS में टकराव
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सफाई दी कि पुलिस को ट्रैफिक और भीड़ नियंत्रण को देखते हुए रूट तय करने का अधिकार है। उन्होंने कहा, “पुलिस कमिश्नर ने मुझे बताया कि उन्हें रूट बदलने को कहा गया था, लेकिन वे उसी मार्ग पर अड़े रहे, इसलिए अनुमति रद्द की गई।” फडणवीस ने कहा कि मराठी लोग दिल से बड़े होते हैं, और ऐसे प्रयोग राज्य में सफल नहीं होंगे। दूसरी तरफ, MNS ने आरोप लगाया कि जहां व्यापारियों को मीरा रोड पर रैली की अनुमति दी गई, वहीं उन्हें उसी मार्ग पर मार्च की इजाजत नहीं दी गई। MNS मुंबई अध्यक्ष संदीप देशपांडे ने कहा, “अब राज्यभर से हमारे कार्यकर्ता मीरा रोड पहुंचेंगे और जब तक पुलिस हमें वहीं प्रदर्शन की अनुमति नहीं देती, तब तक हम पीछे नहीं हटेंगे।”
भाषा विवाद की पृष्ठभूमि में बढ़ते तनाव
यह विवाद उस घटना के बाद और बढ़ा, जब कथित तौर पर MNS कार्यकर्ताओं ने एक दुकानदार की पिटाई कर दी थी, क्योंकि उसने मराठी में बात करने से इनकार किया था। इस घटना के विरोध में व्यापारियों ने मीरा रोड पर प्रदर्शन किया था। इससे पहले मंगलवार को, एमएनएस के ठाणे और पालघर जिलाध्यक्ष अविनाश जाधव को भी उनके घर से हिरासत में लिया गया। पुलिस ने बताया कि जाधव के खिलाफ 28 आपराधिक मामले दर्ज हैं। हाल के महीनों में गैर-मराठी बोलने पर हमलों की घटनाओं ने विवाद को और गहरा किया है। इसी बीच, राज्य सरकार द्वारा प्राइमरी स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के आदेश पर भी भारी विरोध हुआ, जिसके चलते सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।