एबी न्यूज़ नेटवर्क। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर ने हिमाचल प्रदेश को स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर डी. एन. शर्मा ने रविवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि एम्स बिलासपुर ने बेहद कम समय में शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं। इसमें तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार, मेडिकल शोध, कैंसर देखभाल और ट्रॉमा केयर पर विशेष ध्यान शामिल है।
तीन वर्षों में बड़ी उपलब्धियां
स्थापना के महज तीन वर्षों से भी कम समय में एम्स बिलासपुर ने अपने इनडोर मरीजों की क्षमता 690 से बढ़ाकर 728 बेड कर दी है। यहां प्रतिदिन लगभग 1,500 मरीजों का इलाज होता है और हर महीने 4,000 से अधिक मरीजों की इनडोर भर्ती की जाती है। संस्थान ने हाल ही में पहली बार सफल किडनी प्रत्यारोपण कर चिकित्सा के क्षेत्र में नई उपलब्धि दर्ज की। मासिक रूप से 30,000 से ज्यादा मरीजों का इलाज करने के साथ ही यहां अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित MRI सुविधा और चार गुना अधिक वेंटिलेटर भी हैं, जिससे आपातकालीन सेवाओं को मजबूत बनाया गया है।
शिक्षा और शोध में भी तेजी
एम्स बिलासपुर में वर्तमान में 620 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें 100 एमबीबीएस सीटें और 17 ब्रॉड स्पेशलिटी कोर्स शामिल हैं। हालांकि मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में कुछ फैकल्टी पद अभी भी रिक्त हैं, जिनकी भर्ती प्रक्रिया चल रही है। कैंसर देखभाल पर विशेष ध्यान देते हुए यहां जल्द ही एक समर्पित ट्रॉमा सेंटर स्थापित किया जा रहा है, वहीं 178.05 करोड़ रुपये की लागत से फेज-2 विस्तार प्रस्तावित है। इसके अलावा 332 करोड़ रुपये की लागत से भविष्य के विकास, विशेषकर कैंसर उपचार अवसंरचना को और मजबूत करने के लिए सर्वे भी किया गया है।
कैंसर देखभाल को लेकर नए कदम
एम्स बिलासपुर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से स्तन और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर पर शोध कर रहा है। रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग में अब तक करीब 900 मरीजों का इलाज हो चुका है और प्रतिदिन 20-30 मरीज नियमित उपचार के लिए पहुंचते हैं। प्रो. शर्मा ने लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों और बढ़ते फेफड़ों के कैंसर के मामलों पर भी चिंता व्यक्त की। एम्स बिलासपुर में जल्द ही पीईटी स्कैन और टाइट्रेशन कंट्रोल जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी, जिससे निदान की सटीकता बढ़ेगी और प्रदेश के मरीजों को बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।