- टेली-एसएनसीयू से जीवनदायी क्रांति
(Image Source-Internet) नागपुर।
आदिवासी क्षेत्र मेलघाट (Melghat) में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को 50% तक कम करने में AIIMS नागपुर ने ऐतिहासिक सफलता पाई है। धारणी के सब-डिस्ट्रिक्ट अस्पताल में स्थापित टेली-स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (Tele-SNCU) ने इस बदलाव की अगुवाई की। इस अत्याधुनिक तकनीक आधारित यूनिट में 360° कैमरे, स्मार्ट डायग्नोस्टिक टूल्स और रियल-टाइम मॉनिटरिंग डैशबोर्ड की मदद से स्थानीय स्वास्थ्यकर्मी सीधे AIIMS के विशेषज्ञों से जुड़ते हैं। 'हब एंड स्पोक' मॉडल के तहत नवजातों को तत्काल परामर्श और इलाज मिल रहा है, जिससे समय रहते सेप्सिस और वजन में कमी जैसी गंभीर स्थितियों से जूझते शिशुओं को जीवनदान मिल रहा है।
स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों की दक्षता में भी इजाफा
परियोजना प्रमुख डॉ. निशांत बनैत ने बताया, “यह केवल टेलीमेडिसिन नहीं, बल्कि रियल-टाइम में जान बचाने वाला हस्तक्षेप है।” इस पहल से न केवल नवजातों की जान बच रही है, बल्कि ग्रामीण डॉक्टरों और नर्सों को उच्चस्तरीय प्रशिक्षण भी मिल रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे देश की शीर्ष नवाचार परियोजनाओं में शुमार किया है। इस मॉडल की सफलता को देखते हुए इसे गढ़चिरोली और नंदुरबार में भी विस्तार दिया गया है।
अब गर्भवती महिलाओं और नवजातों की स्क्रीनिंग पर फोकस
AIIMS नागपुर अब गढ़चिरौली में एक डायग्नोस्टिक हब स्थापित कर रहा है, जहां गर्भवती महिलाओं की सिकल सेल और थैलेसीमिया के लिए, तथा नवजातों की पाँच गंभीर मेटाबॉलिक बीमारियों के लिए स्क्रीनिंग की जाएगी। AIIMS के कार्यकारी निदेशक डॉ. प्रशांत जोशी ने कहा, “समय रहते तकनीक आधारित जांच ही जीवन रक्षा का सबसे सशक्त हथियार है।” मेलघाट मॉडल अब देश में जनजातीय स्वास्थ्य सेवा के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बनता जा रहा है।