(Image Source-Internet)
पुणे :
झारखंड (Jharkhand) में शराब बिक्री घोटाले में गिरफ्तार हुई सुमित फैसिलिटीज कंपनी के सीईओ अमित सालुंखे का नाम अब महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है। इस कंपनी को राज्य में कई अहम सरकारी ठेके मिले हैं, जिनमें 6,000 करोड़ रुपये की 108 एंबुलेंस सेवा का अनुबंध प्रमुख है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि इस अनुबंध में भी अनियमितता हुई है और कंपनी ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे और सांसद श्रीकांत शिंदे की संस्था को बड़े पैमाने पर दान दिए हैं।
कौन हैं अमित सालुंखे?
अमित सालुंखे ने पुणे के बीएमसीसी कॉलेज से स्नातक और स्पेन के एक विश्वविद्यालय से एमबीए किया है। 2016 में उन्होंने सुमित फैसिलिटीज़ में काम करना शुरू किया। इससे पहले उनके पिता प्रभाकर सालुंखे, भाई सुमित सालुंखे और मां सुनंदा सालुंखे इस कंपनी के निदेशक मंडल में थे। कंपनी की स्थापना 1992 में हुई थी। वर्तमान में अमित के साथ गरिमा तोमर, अजीत दरंडाले और सुनील कुंभारकर भी निदेशक मंडल में शामिल हैं। सुमित फैसिलिटीज़ को नवी मुंबई, ठाणे, कल्याण-डोंबिवली जैसी नगरपालिकाओं से सफाई और स्वच्छता से जुड़े करोड़ों रुपये के अनुबंध मिले हैं। यही नहीं, कंपनी को 108 एंबुलेंस सेवा चलाने का 10 साल का 6,000 करोड़ रुपये का ठेका भी मिला है।
झारखंड का शराब घोटाला और गिरफ्तारी
झारखंड सरकार ने 2022 में शराब बिक्री के लिए नई नीति लागू की थी, जिसके तहत खुद के सरकारी स्टोर के माध्यम से शराब बेची जानी थी। इन स्टोर्स के लिए स्टाफ देने का ठेका सुमित फैसिलिटीज़ को मिला। यह ठेका उस समय आबकारी विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे के माध्यम से मिला था। 2024 में ईडी ने झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर कार्रवाई शुरू की। विनय कुमार चौबे ने ईडी को सोरेन के खिलाफ जानकारी दी, जिससे सोरेन गिरफ्तार हुए। हालांकि, बाद में सोरेन चुनाव जीतकर फिर मुख्यमंत्री बने और चौबे के करीबी लोगों के खिलाफ जांच शुरू हुई। इसी कड़ी में अमित सालुंखे और 11 अन्य को गिरफ्तार किया गया।
महाराष्ट्र में 108 एंबुलेंस का ठेका और विवाद
सुमित फैसिलिटीज़ को महाराष्ट्र में 1756 एंबुलेंस चलाने का ठेका मिला है। पहले साल के लिए राज्य सरकार 637 करोड़ रुपये दे रही है, और यह राशि हर साल 5% बढ़ेगी। 10 साल में कंपनी को कुल 6,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। जब यह ठेका मिला, तब आरोप लगे कि पुराने ठेके की तुलना में राशि काफी बढ़ाई गई है। मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जहां ठेके को वैध करार दिया गया। मई 2025 में नई सरकार ने अनुबंध में कुछ बदलाव किए और पुरानी सेवा प्रदाता कंपनी BVG को भी इसमें जोड़ा गया।
राजनीतिक संबंध और दान का आरोप
विपक्ष का आरोप है कि इस अनुबंध के बदले सुमित फैसिलिटीज़ ने सांसद श्रीकांत शिंदे की संस्था को बड़े दान दिए। इससे ठेके की पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं। अमित सालुंखे की गिरफ्तारी के बाद यह मामला और गर्माया है। महाराष्ट्र में अब विपक्ष जांच की मांग कर रहा है और शिंदे परिवार पर सीधा हमला कर रहा है। इस पूरे मामले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि किसी कंपनी की तेज प्रगति के पीछे राजनीतिक संरक्षक कौन होता है और जब वही संरक्षक संकट में आता है तो कंपनी भी विवादों में घिर जाती है। सुमित फैसिलिटीज़ का मामला इस राजनीति और व्यापार के गठजोड़ की एक मिसाल बनता जा रहा है।