बेंगलुरु भगदड़ मामले में RCB पर संकट के बादल! सरकार ने आपराधिक केस की दी मंजूरी

    17-Jul-2025
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- जांच रिपोर्ट में RCB और KSCA को ठहराया गया जिम्मेदार

Bengaluru stampede(Image Source-Internet)  
एबी न्यूज़ नेटवर्क।
बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून 2025 को हुई भगदड़ की घटना ने अब बड़ा कानूनी मोड़ ले लिया है। इस मामले में कर्नाटक सरकार ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) और कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मंजूरी दे दी है। यह फैसला कैबिनेट की बैठक के बाद लिया गया, जिसमें जस्टिस माइकल डी कुन्हा आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार किया गया। रिपोर्ट में आयोजकों की लापरवाही और सुरक्षा चूक की गंभीर बातें उजागर की गईं।
 
रिपोर्ट में सामने आईं कई चौंकाने वाली बातें
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को 11 जुलाई को सौंपी गई न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में RCB, KSCA, डीएनए एंटरटेनमेंट और बेंगलुरु पुलिस को घटना का सीधे तौर पर जिम्मेदार बताया गया। आयोग को एक महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश मिला था। इस दौरान आयोग ने घटनास्थल का दौरा किया, प्रत्यक्षदर्शियों और अधिकारियों के बयान लिए। रिपोर्ट के अनुसार, स्टेडियम के अंदर महज 79 पुलिसकर्मी तैनात थे, जबकि बाहर सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था। किसी प्रकार की इमरजेंसी मेडिकल सहायता भी मौके पर मौजूद नहीं थी।
 
गंभीर लापरवाही और समन्वय की कमी का आरोप
17 जुलाई को हाईकोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में सरकार ने स्पष्ट किया कि आयोजन में शामिल संस्थाएं—RCB, डीएनए एंटरटेनमेंट और KSCA—पर्याप्त समन्वय स्थापित करने में नाकाम रहीं। रिपोर्ट में कहा गया कि एंट्री गेट पर अव्यवस्थित प्रबंधन और गेट खोलने में हुई देरी ने भगदड़ की स्थिति को जन्म दिया। इसके कारण न केवल आम जनता को चोट पहुंची, बल्कि सात पुलिसकर्मी भी घायल हुए।
 
प्रशासनिक लापरवाही भी बनी हादसे की वजह
जांच से यह भी स्पष्ट हुआ कि घटना के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने समय पर प्रतिक्रिया नहीं दी। रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त पुलिस आयुक्त घटनास्थल पर शाम 4 बजे पहुंचे, जबकि पुलिस आयुक्त को हादसे की जानकारी शाम 5:30 बजे तक नहीं दी गई। इन सब तथ्यों के मद्देनजर आयोग ने कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकारते हुए अब आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्णय लिया है। यह घटना अब सिर्फ एक अव्यवस्था नहीं बल्कि प्रशासनिक और प्रबंधकीय विफलता का बड़ा उदाहरण बन गई है, जिससे RCB और KSCA की साख पर गहरा असर पड़ सकता है।