- 27,000 से अधिक मामले पेंडिंग
- नागपुर की लैब सबसे ज्यादा दबाव में
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नागपुर।
महाराष्ट्र में साइबर अपराध (Cyber crime) की जांच फॉरेंसिक लैबों की भारी पेंडेंसी के कारण धीमी पड़ गई है। राज्यभर में 27,000 से अधिक साइबर से जुड़े मामले फॉरेंसिक जांच की प्रतीक्षा में हैं, जिनमें से अकेले नागपुर की क्षेत्रीय फॉरेंसिक साइंस लैब (RFSL) में 3,000 से अधिक मामले लंबित हैं। हैरानी की बात यह है कि नागपुर लैब मुंबई से भी अधिक सालाना औसतन 2,000 ज्यादा मामले संभालती है। जबकि राज्यभर की फॉरेंसिक लैबों में हर साल करीब 39,000 केस पहुंचते हैं, जिनमें से 14,000 का समाधान नहीं हो पाता।
नए क्षेत्रीय लैब खोलने की योजना
बढ़ते दबाव को देखते हुए सरकार ने चंद्रपुर, ठाणे, कोल्हापुर, रत्नागिरी और चूले में नई क्षेत्रीय फॉरेंसिक लैब स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। अधिकारियों के अनुसार, चंद्रपुर और अमरावती में विसरा विश्लेषण की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिससे नागपुर लैब पर कुछ हद तक बोझ कम हुआ है। इससे साइबर मामलों में जल्द निष्कर्ष तक पहुंचने की उम्मीद बढ़ी है।
जांच में देरी से न्याय प्रक्रिया प्रभावित
साइबर अपराधों में डिजिटल सबूतों की जांच बेहद जरूरी होती है, लेकिन फॉरेंसिक रिपोर्ट में देरी के कारण पुलिस जांच और न्यायिक कार्यवाही दोनों प्रभावित हो रहे हैं। नागपुर के साइबर पुलिस इंस्पेक्टर बलीराम सुतार ने बताया, “इस साल अब तक 56 साइबर केस दर्ज हुए हैं, जिनमें से 17 मामलों में हमने जब्त मोबाइल व हार्ड ड्राइव जांच के लिए भेजी हैं, लेकिन अभी तक कई रिपोर्ट नहीं मिली हैं।” उन्होंने लैबों में तकनीकी स्टाफ की कमी और समन्वय की दिक्कतें भी बताईं। इसके बावजूद नागपुर साइबर पुलिस ने 7-8 करोड़ रुपये की संपत्ति फ्रीज कर लगभग 5 करोड़ रुपये की वसूली की है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर फॉरेंसिक सहायता समय पर मिले, तो यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।