SMHRC में समय पर की गई टीमवर्क की मिसाल, मां और नवजात की जान बची

24 Jun 2025 22:12:38
- गंभीर स्थिति में पहुंची गर्भवती महिला

SMHRC(Image Source-Internet) 
एबी न्यूज़ नेटवर्क।
शालिनीताई मेघे हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (SMHRC) के 1020 बेड वाले अत्याधुनिक अस्पताल में एक दुर्लभ और जानलेवा प्रसवकालीन आपात स्थिति को सफलतापूर्वक संभालकर एक मां और नवजात शिशु की जान बचाई गई। 26 वर्षीय महिला, जो 32 सप्ताह की गर्भवती थी, को तकलघाट से SMHRC के 300 बेड वाले समर्पित मदर एंड चाइल्ड डिवीजन में गंभीर अवस्था में लाया गया था। ईक्लेम्पसिया और कार्डियक अरेस्ट के कारण उसकी हालत नाजुक थी।
 
डॉक्टर्स की तत्परता से हुआ जीवनरक्षक ऑपरेशन
डॉ. स्नेहल देशमुख (स्त्री रोग विशेषज्ञ) और डॉ. प्रियंका कांगले (एनेस्थेटिस्ट) ने तत्काल रेसुसिटेशन शुरू कर महिला को स्थिर किया। इसके बाद उच्च जोखिम वाले सीज़ेरियन ऑपरेशन को टीम ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस टीम में डॉ. शश्वती घोष, डॉ. शंतनु शेमबलकर और विभागाध्यक्ष डॉ. राजसी सेनगुप्ता शामिल थे। एनेस्थेसिया की देखरेख डॉ. कांगले ने की।
 
जटिलताओं के बीच विशेषज्ञों की टीम ने निभाई अहम भूमिका
ऑपरेशन के बाद महिला को PRES, सेरेब्रल वेनस थ्रॉम्बोसिस और पेरीपार्टम कार्डियोमायोपैथी जैसी गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ा। इस दौरान डॉ. हेमंत देशपांडे और डॉ. राकेश भैसारे के नेतृत्व में क्रिटिकल केयर टीम ने चौबीसों घंटे निगरानी रखी। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. जीवन किनकर और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अभय तिडके व डॉ. राहुल बराई ने इलाज को व्यक्तिगत स्तर पर ढालकर महिला की हालत में सुधार किया।
 
नवजात को मिला विशेष देखभाल, परिवार ने जताया आभार
शिशु को बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सी. बोकड़े और डॉ. कुश झुनझुनवाला की देखरेख में विशेष नवजात शिशु देखभाल दी गई। करीब दो महीने तक मां को वेंटिलेटर सपोर्ट और गहन चिकित्सा के साथ रखा गया। उत्कृष्ट नर्सिंग स्टाफ, जिनमें सिस्टर सुषमा सेन, सिस्टर भाग्यश्री, सिस्टर प्रितिका, सिस्टर ज्योति आदि शामिल थीं, ने इलाज में सहयोग किया। मरीज की स्थिति में लगातार सुधार हुआ और वह पूरी तरह से होश में, चलने-फिरने में सक्षम और स्थिर हालत में डिस्चार्ज हुई। परिवार ने पूरी टीम को धन्यवाद दिया।
 
SMHRC के निदेशक डॉ. अनुप मारार ने कहा, "यह मामला दिखाता है कि कुशल टीमवर्क और विभागीय समन्वय से असंभव को भी संभव किया जा सकता है।"
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