(Image Source-Internet)
AB News Network:
हर साल 19 जून को पूरी दुनिया में विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस (World Sickle Cell Awareness Day) मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए नहीं है, बल्कि उन लाखों ज़िंदगियों की पीड़ा, संघर्ष और उम्मीदों को आवाज़ देने का दिन है जो इस अनुवांशिक बीमारी से जूझ रही हैं। भारत में खासकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और गुजरात के आदिवासी समुदायों में यह बीमारी व्यापक रूप से फैली हुई है।
सिकल सेल क्या है?
सिकल सेल रोग एक आनुवंशिक रक्त विकार है जिसमें व्यक्ति के लाल रक्त कण (RBCs) अर्द्धचंद्र या हँसिया (sickle) के आकार में बदल जाते हैं। ये कोशिकाएं जल्दी टूट जाती हैं और रक्त प्रवाह में रुकावटें पैदा करती हैं, जिससे पीड़ित को तीव्र दर्द, थकावट, संक्रमण, और अंगों को नुकसान हो सकता है। यह बीमारी जन्म से ही होती है और आजीवन इलाज की ज़रूरत होती है।
भारत और विशेषकर महाराष्ट्र में चुनौती
भारत में अनुमानित 1.5 करोड़ लोग सिकल सेल ट्रेट (वाहक) हैं और 20 लाख से ज़्यादा लोग इससे ग्रसित हैं। महाराष्ट्र के विदर्भ और मेलघाट जैसे क्षेत्रों में, खासकर गोंड, कोलाम, माडिया जैसे आदिवासी समुदायों में यह बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी फैलती जा रही है। यह न सिर्फ एक मेडिकल संकट है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक समस्या भी है, क्योंकि अधिकतर प्रभावित लोग पहले से ही वंचित तबकों से हैं।
सरकार की पहल और ज़मीनी सच्चाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2023 में सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की घोषणा की थी, जिसमें 2047 तक इस बीमारी को भारत से पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य है। महाराष्ट्र सरकार भी स्कूलों और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में स्क्रीनिंग, जागरूकता और जेनेटिक काउंसलिंग के कार्यक्रम चला रही है। लेकिन ज़मीनी सच्चाई ये है कि बहुत से मरीज अभी भी अशिक्षा, संसाधनों की कमी और सामाजिक कलंक के कारण समय पर इलाज नहीं ले पाते।
क्या करें हम?
हर नवविवाहित जोड़े के लिए जेनेटिक टेस्टिंग अनिवार्य हो
स्कूलों और कॉलेजों में सिकल सेल पर स्वास्थ्य शिक्षा दी जाए
आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में निःशुल्क जांच और दवा वितरण हो
हर 19 जून को सिर्फ कार्यक्रम नहीं, जनजागरूकता आंदोलन चले
एक बीज संदेश
सिकल सेल से लड़ाई सिर्फ डॉक्टरों की नहीं है — यह हम सबकी जिम्मेदारी है। यह बीमारी शरीर में रहती है, लेकिन इसका इलाज समाज की समझ, सहयोग और संवेदनशीलता में छिपा है। इस विश्व सिकल सेल दिवस पर हम सब मिलकर ये संकल्प लें कि हम जानकारी बढ़ाएँगे, भेदभाव घटाएँगे, और उम्मीदों को ज़िंदा रखेंगे।
"शरीर की कोशिकाएँ शायद कमजोर हों,
पर यदि समाज साथ हो तो हर रोग हार मानता है।"