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नागपुर।
शहर के पेट्रोल पंप मालिकों ने 10 मई से सभी प्रकार के डिजिटल भुगतान (Digital payment) जैसे यूपीआई और कार्ड लेनदेन को स्वीकार न करने की चेतावनी दी है। वर्तमान में लगभग 60% ईंधन भुगतान ऑनलाइन माध्यम से होता है, ऐसे में इस बहिष्कार से आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
साइबर धोखाधड़ी बनी मुसीबत की जड़
विदर्भ पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (VPDA) के अनुसार, पेट्रोल पंप मालिक साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के चलते आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। कई पंप मालिकों के बैंक खाते या तो अवरुद्ध कर दिए गए हैं या उन पर लियन (lien) लगा दिया गया है। ऑल महाराष्ट्र पेट्रोलियम डीलर्स फेडरेशन (FAMPEDA) के अध्यक्ष अमित गुप्ता ने बताया कि धोखेबाज़ चोरी की गई कार्ड या नेट बैंकिंग जानकारी का उपयोग ईंधन खरीदने में करते हैं और शिकायत होते ही पुलिस संबंधित खातों को फ्रीज कर देती है।
अन्य कंपनियों को क्यों नहीं रोका जाता?
गुप्ता ने सवाल उठाया कि जब ई-कॉमर्स साइट्स पर भी इसी तरह से चोरी के डाटा का उपयोग होता है, तो वहां के खातों को क्यों नहीं ब्लॉक किया जाता। उनका कहना है कि पेट्रोल पंप मालिकों का इन अपराधों में कोई हाथ नहीं होता, फिर भी उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
सरकारी आश्वासन मिलने तक डिजिटल भुगतान बंद रहेगा
पेट्रोल पंप मालिकों ने इस मुद्दे पर कलेक्टर और साइबर सेल प्रमुख डीसीपी लोहित मतानी को ज्ञापन सौंपा है। साथ ही, इस विषय पर गृह मंत्रालय को भी एक पत्र भेजा गया है। गुप्ता ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार साइबर फ्रॉड से सुरक्षा का भरोसा नहीं देती, तब तक डिजिटल लेनदेन बंद रहेगा। डीसीपी मतानी ने कहा कि किसी खाते पर कार्रवाई होने पर खाताधारक कोर्ट में चुनौती दे सकता है या साइबर सेल को सफाई दे सकता है।