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नागपुर।
नागपुर की न्यायिक बिरादरी के लिए शुक्रवार का दिन गौरवपूर्ण और ऐतिहासिक रहा, जब न्यायमूर्ति अतुल एस. चंदुरकर (Atul S Chandurkar) ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में उन्हें शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति चंदुरकर का यह पदोन्नयन हाल ही में हुई शीर्ष अदालत की नियुक्तियों का हिस्सा है।
नागपुर से दो वर्तमान न्यायाधीश: एक अनोखा क्षण
इस ऐतिहासिक अवसर को और भी खास बनाता है यह तथ्य कि अब सुप्रीम कोर्ट में नागपुर से दो वर्तमान न्यायाधीश सेवारत हैं—न्यायमूर्ति अतुल चंदुरकर और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई। यह पहली बार है जब नागपुर के दो न्यायविद एक साथ सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत हैं, जो शहर की कानूनी प्रतिभा का प्रमाण है।
तीन नए न्यायाधीशों की नियुक्ति
गुरुवार को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद तीन नए न्यायाधीशों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की 26 मई की सिफारिश पर की गई इस नियुक्ति में न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया (कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश) और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई (गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश) भी शामिल हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि की।
सुप्रीम कोर्ट में नागपुर का बढ़ता प्रभाव
न्यायमूर्ति अतुल चंदुरकर नागपुर से सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाले आठवें न्यायाधीश बने हैं। इससे पहले न्यायमूर्ति विवियन बोस (1951), न्यायमूर्ति एम. हिदायतुल्ला (1958), न्यायमूर्ति जनार्दन मुद्होलकर (1960), न्यायमूर्ति ए.पी. सेन (1978), न्यायमूर्ति विकास सिरपुरकर (2007), न्यायमूर्ति शरद बोबडे (पूर्व मुख्य न्यायाधीश) और न्यायमूर्ति भूषण गवई इस गौरव को प्राप्त कर चुके हैं। नागपुर से अब तक तीन मुख्य न्यायाधीश भारत को मिल चुके हैं, जो इस शहर के समृद्ध न्यायिक योगदान को दर्शाता है।