एबी न्यूज़ नेटवर्क।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पास स्थित कांचा गचीबोवली क्षेत्र में 400 एकड़ भूमि पर पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए तेलंगाना के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक कोई पेड़ न काटा जाए। जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस ए. जी. मसीह की पीठ ने तेलंगाना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को स्थल का निरीक्षण करने और उसी दिन दोपहर 3:30 बजे तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
अखबारों में दिखा वनों की अंधाधुंध कटाई का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि कांचा गचीबोवली क्षेत्र में तेजी से जंगलों की कटाई की जा रही है। अखबारों में छपी खबरों के अनुसार, अधिकारियों ने लंबे सप्ताहांत की छुट्टियों का फायदा उठाकर पेड़ों की कटाई शुरू कर दी थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यह क्षेत्र आठ प्रकार के संरक्षित जीवों का प्राकृतिक आवास है। इससे पहले, तेलंगाना हाईकोर्ट ने बुधवार को इस भूमि पर पेड़ों की कटाई और अन्य कार्यों पर गुरुवार तक के लिए रोक लगा दी थी।
पर्यावरण संरक्षण के लिए एनजीओ और छात्रों की याचिका
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) के छात्रों और ‘वाटा फाउंडेशन’ नामक एनजीओ ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की थी। वाटा फाउंडेशन ने इस भूमि को 'डीम्ड फॉरेस्ट' घोषित करने और इसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की धारा 35 के तहत राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने की मांग की। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के ‘गोड़ावरमन मामले’ का हवाला देते हुए तर्क दिया कि HCU परिसर जैव विविधता हॉटस्पॉट के रूप में पहचाना गया है और इसे पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र का दर्जा मिलना चाहिए।
सरकार द्वारा भूमि आवंटन का विरोध
याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि तेलंगाना सरकार ने पिछले साल जून में एक सरकारी आदेश जारी कर 400 एकड़ भूमि तेलंगाना इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन (TGIIC) को आवंटित कर दी थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि भले ही यह सरकारी भूमि हो, लेकिन अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना चाहिए। अदालत को यह भी बताया गया कि इस क्षेत्र में भारी वाहन लाकर पेड़ों को उखाड़ा जा रहा है और भूमि को समतल किया जा रहा है, जो पर्यावरणीय संतुलन के लिए हानिकारक है।
वन्यजीव और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा पर जोर
याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को बताया कि इस भूमि पर तीन झीलें, कई प्राकृतिक चट्टानें और विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी निवास करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, किसी भी वन क्षेत्र से पेड़ों को हटाने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाना चाहिए, जो कम से कम एक महीने तक अध्ययन करे। लेकिन यहां बिना किसी विशेषज्ञ मूल्यांकन के ही भूमि समतलीकरण का कार्य शुरू कर दिया गया है। अदालत को बताया गया कि अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं और इस क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है।
विभिन्न प्रकार की प्रजातियां
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) के पास स्थित जंगल जैव विविधता से भरपूर हैं और कई वन्य जीवों का निवास स्थल हैं। यहां तेंदुए, सियार, जंगली बिल्ली, नेवला, और विभिन्न प्रकार के सांप जैसे सरीसृप पाए जाते हैं। पक्षियों में मोर, उल्लू, बाज, और रंग-बिरंगे तोते देखे जा सकते हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता को दर्शाते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में शहरीकरण, निर्माण कार्य और वन क्षेत्र के अतिक्रमण के कारण इन जीव-जंतुओं की संख्या में गिरावट देखी गई है। खासकर, आईटी पार्क और अन्य इमारतों के विस्तार से इनका प्राकृतिक आवास सिमट रहा है, जिससे कई प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। पर्यावरणविदों और स्थानीय समुदायों द्वारा इस क्षेत्र को संरक्षित करने की लगातार मांग की जा रही है, ताकि यहां की जैव विविधता बनी रहे।