मराठी मनोरंजन जगत में शोक की लहर! प्रसिद्ध अभिनेता डॉ. विलास उजवणे का निधन

    04-Apr-2025
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- 62 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

Dr Vilas Ujwane(Image Source : Internet) 
मुंबई :
अनुभवी मराठी अभिनेता डॉ. विलास उजवणे (Dr Vilas Ujwane) के निधन से कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। ‘चार दिवस सासूचे’, ‘दमिनी’, ‘वादळवाट’ जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाने वाले उजवणे ने 4 अप्रैल 2025 को मुंबई के मीरा रोड स्थित एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ वर्षों से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को किया जाएगा।
 
बावनकुले ने दी श्रद्धांजलि
भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने डॉ. उजवणे को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वरिष्ठ मराठी अभिनेता और रंगमंच कलाकार डॉ. विलास उपाख्य नाना उजवणे के निधन की खबर चौंकाने वाली और दुखद है। उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत नागपुर में रंग स्वानंद थिएटर से की। उन्होंने कई मराठी नाटकों, धारावाहिकों और फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया। उनको मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। मैं उनके परिवारों के दुख में शामिल हूं। 
 
 
 
हिंदी और मराठी सिनेमा में अमूल्य योगदान
डॉ. उजवणे ने मराठी और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय से अलग पहचान बनाई थी। वे सहज अभिनय के लिए जाने जाते थे, जिससे उन्होंने दर्शकों के बीच खास जगह बनाई। सकारात्मक किरदारों के साथ-साथ उनके नकारात्मक भूमिकाएं भी काफी लोकप्रिय रहीं। उनकी अदायगी में एक अलग प्रभाव था, जिसने थिएटर, सिनेमा और टेलीविजन जगत में एक अमिट छाप छोड़ी। उनके जाने से मराठी मनोरंजन जगत में एक अपूरणीय क्षति हुई है।
 
बीमारी और आर्थिक संकट से जूझते रहे
पिछले कुछ वर्षों से डॉ. उजवणे गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। कुछ साल पहले उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिससे उनकी सेहत पर गंभीर असर पड़ा। इसके अलावा, उन्हें हृदय संबंधी समस्याओं ने भी घेर लिया। इलाज के दौरान उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती चली गई, जिसके चलते उनके एक करीबी मित्र ने 2022 में सोशल मीडिया पर उनकी आर्थिक मदद के लिए अपील की थी। उनके प्रशंसकों, दोस्तों और परिवारजनों ने उनके लिए सहायता की गुहार लगाई थी।
 
नागपुर से मुंबई तक का सफर
डॉ. विलास उजवणे का जन्म नागपुर में हुआ था। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से चिकित्सा क्षेत्र में पढ़ाई की और डिग्री प्राप्त की। लेकिन, उनका रुझान अभिनय की ओर था। अपने अभिनय के जुनून को पूरा करने के लिए वे मुंबई आए और थिएटर में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने 110 फिल्मों और 140 से अधिक धारावाहिकों में काम किया। उनकी प्रसिद्धि का एक प्रमुख कारण ‘शुभं भवतु’ संवाद रहा, जो हर घर में लोकप्रिय हुआ। उनका योगदान कला जगत में हमेशा याद रखा जाएगा।