- जैश, लश्कर और हिजबुल की साजिश में रऊफ असगर की भूमिका संदिग्ध
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एबी न्यूज़ नेटवर्क।
जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम (Pahalgam) में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले को लेकर खुफिया एजेंसियों ने बड़ा खुलासा किया है। ताजा साक्ष्य बताते हैं कि इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन की मिलीभगत थी। सूत्रों के अनुसार, इस हमले के मास्टरमाइंड न केवल लश्कर के डिप्टी चीफ सैफुल्ला कसूरी हो सकते हैं, बल्कि जैश सरगना मसूद अजहर का भाई रऊफ असगर भी इसमें शामिल हो सकता है, जो भारत की वांछित आतंकियों की सूची में शीर्ष पर है।
हमले की शैली ‘हमास’ के रीम शहर हमले से मिलती-जुलती
सूत्रों ने बताया कि 22 अप्रैल का हमला उस तरीके से अंजाम दिया गया जैसा कि 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल के रीम शहर में हमास के हमले में देखा गया था, जिसमें बंदूकधारियों ने एक म्यूजिक फेस्टिवल पर हमला किया, लोगों की पहचान पूछकर उन्हें गोली मारी और कुछ को बंधक बना लिया। खुफिया एजेंसियों ने पाया कि पहलगाम हमला भी इसी शैली पर आधारित था और इसे "हमास-स्टाइल" अटैक मॉडल के तहत अंजाम दिया गया।
रावलकोट में जैश और हमास आतंकियों की गोपनीय बैठक
5 फरवरी को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के रावलकोट में जैश-ए-मोहम्मद और हमास के आतंकियों की एक गुप्त बैठक हुई थी, जिसमें “कश्मीर में जिहाद” को बढ़ावा देने और हमास के ऑपरेशन अल अक्सा फ्लड की तारीफ की गई। इस बैठक में मसूद अजहर के भाई तल्हा अल सैफ, हमास प्रतिनिधि खालिद कयूमी और कई अन्य आतंकी शामिल थे। यहां खुले मंच से भारत विरोधी बयान दिए गए और कश्मीर में हमास जैसी कार्रवाई का आह्वान किया गया।
पाकिस्तानी पुलिस और सेना की खुली मिलीभगत
बैठक के बाद सैफुल्ला कसूरी, रऊफ असगर और हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद के बीच बंद कमरे में बैठक हुई, जहां पहलगाम में बड़े हमले की योजना तैयार की गई। 1 अप्रैल को पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी की, जिससे आतंकियों को घुसपैठ का मौका मिला। खुफिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तानी रेंजर्स और ASP स्तर के पुलिस अधिकारी खुद इन आतंकियों की सुरक्षा में तैनात थे।
बच्चों को ‘जिहाद’ के लिए तैयार कर रहे आतंकी संगठन
ABP News के हवाले से मौजूद वीडियो फुटेज में दिखाया गया है कि कसूरी ने जैश के मदरसे में बच्चों को संबोधित करते हुए कहा, "मुजाहिदीन जल्द ही कश्मीर में जिहाद छेड़ेंगे।" बच्चों को हमास जैसी वर्दी में खिलौना बंदूकें पकड़ा कर मंच पर उतारा गया। इसके बाद कसूरी और उसके सहयोगियों ने आतंकियों के साथ मिलकर बड़ी साजिश की रूपरेखा तैयार की। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, पहलगाम हमले की अंतिम योजना 17 मार्च को बहावलपुर की बैठक में तय की गई थी, जहां कसूरी ने कहा था कि हमला जम्मू-कश्मीर के बाहर से आए लोगों को निशाना बनाकर किया जाए और उसका असर पूरे देश में महसूस हो।