OTT और सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस

28 Apr 2025 15:45:06
 
Supreme Court
 (Image Source : Internet)
नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को केंद्र सरकार, ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को एक जनहित याचिका (PIL) पर नोटिस जारी किया। इस याचिका में अश्लील सामग्री के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए उचित कदम उठाने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और एजी मसीह की पीठ ने इस मामले को "महत्वपूर्ण चिंता का विषय" बताया और नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, अल्ट बालाजी, उल्लू, एएलटीटी, एक्स (पूर्व में ट्विटर), मेटा, गूगल, एप्पल सहित कई प्लेटफार्म से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने अदालत के समक्ष ओटीटी और सोशल मीडिया पर बिना किसी नियंत्रण के प्रसारित हो रही सामग्री का मुद्दा उठाया।
 
सरकार ने भी जताई चिंता
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए स्वीकार किया कि कुछ नियमित कार्यक्रमों में भी अश्लील सामग्री पाई जाती है। उन्होंने कहा, "कुछ कार्यक्रम इतने विकृत हैं कि दो सम्मानित व्यक्ति भी उन्हें साथ बैठकर नहीं देख सकते।" मेहता ने सेंसरशिप की आवश्यकता से इंकार करते हुए कहा कि सामग्री पर कुछ स्तर तक नियंत्रण जरूरी है और सरकार इस दिशा में अतिरिक्त नियमों पर विचार कर रही है।
 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'यह नीति से जुड़ा मामला'
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिका में उठाया गया मुद्दा केंद्रीय सरकार की नीति निर्माण के क्षेत्राधिकार में आता है। याचिकाकर्ताओं- उदय माहुरकर, संजीव नेवर, सुदेशना भट्टाचार्ज्य मुखर्जी, शताब्दी पांडे और स्वाति गोयल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। याचिका में नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, अल्ट बालाजी जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री के वितरण पर रोक लगाने की मांग की गई है। साथ ही एक समिति के गठन की मांग की गई है, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश करें और जो ओटीटी पर सामग्री की निगरानी करे।
 
अश्लील सामग्री से समाज और युवा पीढ़ी पर खतरा
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बिना किसी नियंत्रण के पोर्नोग्राफिक, अश्लील और यौन विकृत सामग्री का प्रसार सामाजिक मूल्यों, मानसिक स्वास्थ्य और सार्वजनिक सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। याचिका में कहा गया कि इस तरह की सामग्री ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि और युवा मनोविज्ञान पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। याचिकाकर्ताओं ने बच्चों और नाबालिगों के लिए इस तरह की सामग्री तक पहुंच को रोकने के उपाय करने की मांग की है।
नेशनल कंटेंट कंट्रोल अथॉरिटी के गठन की मांग
याचिका में केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया से अश्लील सामग्री को हटाने तक उनकी सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद किया जाए। साथ ही एक राष्ट्रीय सामग्री नियंत्रण प्राधिकरण (National Content Control Authority) के गठन की मांग की गई है, जो ओटीटी और सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली यौन विकृत सामग्री पर रोक लगाए। याचिका में बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और समाज में नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाने पर जोर दिया गया है।
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