महाराष्ट्र राज्य बोर्ड स्कूलों में लागू होगा सीबीएसई मॉडल: जानिए वजह

    01-Apr-2025
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- एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पर आधारित नई शिक्षा प्रणाली

CBSE(Image Source : Internet) 
नागपुर।
जून 2025 से महाराष्ट्र राज्य बोर्ड के कक्षा 1 के छात्र नए एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पर आधारित किताबों से पढ़ाई करेंगे। यह बदलाव सीबीएसई मॉडल को अपनाने की दिशा में राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है। हालांकि, इस फैसले से स्कूलों, शिक्षकों और अभिभावकों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। कई लोगों को आशंका है कि इससे महाराष्ट्र राज्य बोर्ड की पहचान कमजोर हो सकती है, लेकिन सरकार का मानना है कि यह बदलाव शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद करेगा।

क्या है सीबीएसई मॉडल?
सीबीएसई मॉडल एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पर आधारित है, जिसमें गणित और विज्ञान जैसे विषयों के लिए एक समान किताबें होंगी। वहीं, भाषा और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) पाठ्यक्रम तैयार करेगी। यह बदलाव चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। 2025-26 सत्र से केवल कक्षा 1 में नई शिक्षा प्रणाली लागू होगी। इसके बाद 2026 में कक्षा 2, 3, 4 और 6, 2027 में कक्षा 5, 7, 9 और 11 तथा 2028 में कक्षा 8, 10 और 12 में इसे लागू किया जाएगा। हालांकि, महाराष्ट्र का शैक्षणिक सत्र पहले की तरह जून से ही शुरू होगा।
 
इस बदलाव की क्या जरूरत थी?
राज्य सरकार का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना और छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे जेईई और नीट के लिए बेहतर तरीके से तैयार करना है। एनसीईआरटी पाठ्यक्रम से छात्रों को एक समान और उच्च स्तरीय शिक्षा मिलेगी, जिससे वे राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन कर सकेंगे। स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे के अनुसार, सीबीएसई मॉडल का फोकस रटने की बजाय संकल्पनात्मक समझ (Conceptual Understanding) पर होगा। साथ ही, सतत मूल्यांकन प्रणाली (Continuous Assessment System) छात्रों के समग्र विकास में मदद करेगी।
 
क्या महाराष्ट्र राज्य बोर्ड बंद हो जाएगा?
नहीं, महाराष्ट्र राज्य बोर्ड बंद नहीं होगा और न ही राज्य के स्कूल सीबीएसई से जुड़ेंगे। "सीबीएसई मॉडल" का अर्थ केवल एनसीईआरटी पाठ्यक्रम और मूल्यांकन प्रणाली को अपनाने से है। सभी स्कूल पहले की तरह महाराष्ट्र राज्य बोर्ड से ही जुड़े रहेंगे और एसएससी व एचएससी परीक्षाएं राज्य बोर्ड द्वारा ही आयोजित की जाएंगी। सरकार का मानना है कि यह बदलाव आधुनिक शिक्षा पद्धतियों को अपनाने में मदद करेगा, जबकि राज्य की सांस्कृतिक और शैक्षणिक पहचान भी बनी रहेगी।
 
विवाद और आशंकाएं
इस बदलाव को लेकर कुछ लोगों को चिंता है कि महाराष्ट्र राज्य बोर्ड की पारंपरिक पढ़ाई और स्थानीय इतिहास, भाषा एवं संस्कृति पर प्रभाव पड़ेगा। आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर के पाठ्यक्रम से महाराष्ट्र के संतों, समाज सुधारकों और क्षेत्रीय परंपराओं पर जोर कम हो सकता है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि राज्य का संशोधित पाठ्यक्रम विशेष रूप से महाराष्ट्र की संस्कृति, परंपराओं और ऐतिहासिक हस्तियों पर ध्यान केंद्रित करेगा। इतिहास, भूगोल और भाषा जैसे विषयों के लिए एससीईआरटी विशेष पाठ्यक्रम तैयार करेगा, जिससे स्थानीय संदर्भ बना रहेगा। इसके अलावा, महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में मराठी पढ़ाई जाना अनिवार्य रहेगा।