अजित पवार ने सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने पर दिया जोर

12 Mar 2025 21:42:06
 
Ajit Pawar Communal harmony
 (Image Source : Internet)
मुंबई।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बुधवार को राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द (Communal Harmony) की अहमियत को रेखांकित किया। उन्होंने सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों से ऐसे बयानों से बचने की अपील की, जो समाज में अशांति पैदा कर सकते हैं। पवार ने छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज्य के समावेशी दृष्टिकोण की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने सभी समुदायों को साथ लेकर राज्य की स्थापना की। उन्होंने कहा, "कुछ लोग ऐसे बयान देते हैं जिन्हें महाराष्ट्र बर्दाश्त नहीं कर सकता। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी बयान कानून और व्यवस्था की समस्या न खड़ी करे।"
 
मुस्लिम समुदाय की देशभक्ति को सराहा
अजित पवार ने महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि वे देश से प्रेम करते हैं और उन्होंने राज्य की स्वतंत्रता और एकता की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के सहयोगियों का उदाहरण देते हुए कहा कि शिवाजी की सेना में मुस्लिम भी शामिल थे और गोला-बारूद का प्रबंधन भी कई मुस्लिमों द्वारा किया जाता था। उन्होंने कहा, "अगर हम इतिहास पढ़ेंगे, तो हमें ऐसे कई उदाहरण मिलेंगे जो मुस्लिम समुदाय की देशभक्ति को साबित करते हैं।"
 
नितेश राणे का हलाल मटन पर बयान
इससे पहले, महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने हिंदुओं के लिए हलाल मटन के विकल्प के रूप में 'मल्हार प्रमाणन' की शुरुआत का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि हलाल मटन इस्लाम का हिस्सा है, न कि हिंदू धर्म का। राणे ने आरोप लगाया कि हिंदुओं को वर्षों से हलाल मटन खाने के लिए मजबूर किया जा रहा था और अब उनके पास एक नया विकल्प है। उन्होंने हिंदुत्व विचारधारा के समर्थकों द्वारा मल्हार प्रमाणन को बढ़ावा देने की सराहना की।
 
‘मल्हार प्रमाणन’ का उद्देश्य
नितेश राणे के अनुसार, 'मल्हार प्रमाणन' हिंदू मांस व्यापारियों को उचित मटन बेचने का एक प्रमाणित विकल्प देगा। उन्होंने कहा कि यह प्रमाणन "100 प्रतिशत हिंदू समुदाय" से संबंधित मांस व्यापारियों को लाभान्वित करेगा और ग्राहकों को बिना किसी मिलावट के मटन उपलब्ध कराएगा। राणे के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ गई है, जहां एक पक्ष इसे समर्थन दे रहा है, जबकि दूसरा इसे सांप्रदायिक विभाजन बढ़ाने वाला कदम मान रहा है।
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