सरकार ने वापस लिया फोन में अनिवार्य ‘संचार साथी’ ऐप इंस्टॉल करने का आदेश! जानें वजह

04 Dec 2025 17:14:14
- गोपनीयता को लेकर बढ़ते विरोध के बाद निर्देश रद्द

Sanchar Saathi app on phonesImage Source:(Internet) 
एबी न्यूज़ नेटवर्क।
केंद्र सरकार ने बुधवार को मोबाइल कंपनियों को हर नए स्मार्टफोन में ‘संचार साथी’ ऐप (Sanchar Saathi app) प्री-इंस्टॉल करने के आदेश को वापस ले लिया। यह फैसला उस समय आया है जब दो दिनों से लगातार जनता और विपक्ष की ओर से गोपनीयता को लेकर तीखी आलोचना की जा रही थी। सरकार की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि ऐप के डाउनलोड पहले ही तेजी से बढ़ चुके हैं केवल 24 घंटों में छह लाख से अधिक इंस्टॉलेशन और कुल 1.4 करोड़ उपयोगकर्ता इसलिए अब अनिवार्य प्री-इंस्टॉलेशन की आवश्यकता नहीं रह गई है। सरकार का कहना है कि यह आदेश सिर्फ अपनाने की गति बढ़ाने के लिए दिया गया था, लेकिन अब स्वैच्छिक उपयोग ही पर्याप्त है।
 
विपक्ष का आरोप: निगरानी का डर
सरकार ने स्पष्ट किया है कि ‘संचार साथी’ ऐप पूरी तरह डिलीट किया जा सकता है, जैसा कि केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया संसद में पहले ही कह चुके हैं। उन्होंने लोकसभा में कहा, “इस ऐप के जरिए जासूसी संभव नहीं है और न ही ऐसा कभी होगा। यह किसी अन्य ऐप की तरह ही है, जिसे नागरिक अपनी इच्छा से हटा सकते हैं।” विपक्ष ने इस आदेश की तुलना पेगासस विवाद से करते हुए आरोप लगाया कि जबरन ऐप इंस्टॉलेशन निगरानी का रास्ता बना सकता है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा और कार्ति चिदंबरम ने इसे “अनुचित” और “रूस-उत्तर कोरिया जैसी निगरानी व्यवस्था” बताया, जबकि शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे “एक और बिग बॉस सर्विलांस” करार दिया। सरकार ने कहा कि ऐप का उद्देश्य केवल साइबर सुरक्षा है और यदि उपयोगकर्ताओं की प्रतिक्रिया की आवश्यकता हुई तो नीतियों की समीक्षा की जाएगी।
 
क्या है संचार साथी ऐप?
दूरसंचार विभाग द्वारा विकसित ‘संचार साथी’ एक साइबर सुरक्षा और जागरूकता प्लेटफ़ॉर्म है। यह मोबाइल ऐप (एंड्रॉइड व iOS) और वेब पोर्टल दोनों रूप में उपलब्ध है। इसके जरिए उपयोगकर्ता अपनी डिजिटल पहचान प्रबंधित कर सकते हैं, संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट कर सकते हैं, अपने उपकरणों की सुरक्षा बढ़ा सकते हैं और साइबर जोखिमों व टेलीकॉम सुरक्षा से संबंधित शैक्षणिक सामग्री प्राप्त कर सकते हैं। सरकार का कहना है कि ऐप केवल नागरिकों को साइबर खतरों से बचाने के लिए काम करता है और इसमें कोई अतिरिक्त निगरानी फ़ंक्शन नहीं है। आदेश वापस लेने के बाद अब इसका उपयोग पूरी तरह स्वैच्छिक रहेगा, और सरकार उम्मीद कर रही है कि जागरूकता के माध्यम से इसके उपयोगकर्ता और बढ़ेंगे।
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