'शी बॉक्स' पोर्टल पर ICC पंजीकरण अनिवार्य

20 Dec 2025 16:12:07
- 10 या अधिक कर्मचारियों वाले निजी संस्थानों पर लागू
- उल्लंघन पर 50 हजार जुर्माना

She Box portalImage Source:(Internet) 
नागपुर।
महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संरक्षण (PoSH) अधिनियम के तहत अब 10 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले सभी निजी प्रतिष्ठानों के लिए आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन और उसका केंद्र सरकार के ‘शी बॉक्स पोर्टल’ पर पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। इस प्रावधान का पालन नहीं करने पर संबंधित प्रतिष्ठान पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर महिला कर्मचारी को शिकायत दर्ज कराने का सुरक्षित, पारदर्शी और सुलभ मंच मिले।
 
छोटे निजी संस्थानों की महिलाओं को मिलेगा मंच
अब तक सरकारी कार्यालयों और कुछ बड़े निजी संगठनों में शिकायत निवारण की व्यवस्था मौजूद थी, लेकिन छोटे निजी प्रतिष्ठानों में कार्यरत महिलाओं को अक्सर उचित मंच नहीं मिल पाता था। इसी कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने ‘शी बॉक्स पोर्टल’ की शुरुआत की है और सभी पात्र निजी संस्थानों के लिए ICC का ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य किया है। इससे महिलाएं सीधे डिजिटल माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकेंगी और मामलों की निगरानी भी प्रभावी ढंग से हो सकेगी।
 
महिला कर्मचारी न होने पर भी ICC जरूरी
नए निर्देशों के अनुसार, किसी भी निजी प्रतिष्ठान में भले ही वर्तमान में महिला कर्मचारी न हों, फिर भी 10 या उससे अधिक कर्मचारियों की संख्या होने पर ICC का गठन अनिवार्य होगा। यह नियम पेट्रोल पंप, होटल, सर्विस ऑफिस, दुकानें, फैक्ट्रियां और अन्य सभी व्यावसायिक इकाइयों पर समान रूप से लागू होगा। प्रतिष्ठान प्रमुख ICC के नोडल अधिकारी होंगे और समिति से जुड़ी अद्यतन जानकारी केंद्र सरकार की वेबसाइट पर अपलोड करना भी उनकी जिम्मेदारी होगी।
 
सूचना प्रदर्शन और सख्त दंड का प्रावधान
प्रतिष्ठानों को ICC से संबंधित जानकारी कार्यालय के प्रवेश द्वार या सामने के प्रमुख स्थान पर प्रदर्शित करनी होगी, ताकि कर्मचारियों को इसकी जानकारी रहे। PoSH अधिनियम की धारा 26 के तहत ICC का गठन न करने पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगेगा। यदि उल्लंघन दोहराया गया या लगातार अनुपालन नहीं किया गया, तो जुर्माना दोगुना हो सकता है और गंभीर मामलों में व्यवसायिक लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई भी की जा सकती है। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा से किसी भी स्तर पर समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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