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नागपुर जिले के बुटीबोरी MIDC क्षेत्र में स्थित अवाडा ग्रुप (Avaada Group) के एक प्लांट में शुक्रवार को हुए भीषण औद्योगिक हादसे में मरे मजदूरों की संख्या छह हो गई है, जबकि नौ अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह दुर्घटना उस समय हुई जब फैक्ट्री परिसर में लगभग 150 किलोलीटर क्षमता वाले मॉड्यूलर पानी के टैंक की टेस्टिंग की जा रही थी। अचानक टैंक फट गया, जिससे वहां काम कर रहे मजदूर इसकी चपेट में आ गए। हादसा सुबह करीब 11:15 से 11:30 बजे के बीच न्यू MIDC क्षेत्र में हुआ। राज्य सरकार ने इस घटना को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए गहरा शोक व्यक्त किया है।
मृतक बिहार के, तीन घायलों की हालत नाजुक
नागपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक हर्ष पोद्दार ने हादसे में छह लोगों की मौत की पुष्टि की है। मृतकों की पहचान अरविंद कुमार ठाकुर (28), अशोक कंचन पटेल (42), अजय राजेश्वर पासवान (26), सुधांशु कुमार नगेस्वर सहानी (36), बुलेट कुमार इंद्रजीत शाह (30) और शमीम अंसारी (42) के रूप में हुई है। सभी मृतक बिहार के विभिन्न जिलों के निवासी बताए गए हैं। हादसे में घायल नौ मजदूरों में से तीन की हालत गंभीर है। घायलों को माया हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है।
AIIMS में तीन मजदूर मृत घोषित, जांच शुरू
AIIMS नागपुर द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार, बुटीबोरी पुलिस स्टेशन से सूचना मिलने के बाद दोपहर 12:45 बजे घायलों को ट्रॉमा और इमरजेंसी विभाग लाया गया, जहां तीन मजदूरों को मृत घोषित कर दिया गया। घटना के बाद बुटीबोरी पुलिस स्टेशन में आकस्मिक मृत्यु (ADR) का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य निदेशालय (DISH), नागपुर को हादसे की जानकारी दी, जिसके बाद DISH की टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। हादसे के कारणों की विस्तृत जांच की जा रही है।
सरकार व कंपनी ने किया मुआवजे का ऐलान
महाराष्ट्र सरकार ने मृतक मजदूरों के परिजनों को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। वहीं, अवाडा ग्रुप प्रबंधन ने मृतकों के परिवारों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। इसके अलावा, घायल मजदूरों को 10 लाख रुपये की सहायता राशि देने और उनके संपूर्ण इलाज का खर्च उठाने का आश्वासन भी दिया गया है। राज्य सरकार ने नागपुर जिला कलेक्टर के माध्यम से राहत एवं बचाव कार्यों की लगातार निगरानी की बात कही है। यह हादसा एक बार फिर MIDC क्षेत्रों में औद्योगिक सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर गंभीर सवाल खड़े करता है।