स्मार्ट सिटी फंड मामले में तुकाराम मुंढे को क्लीन चिट

15 Dec 2025 19:44:52
 
Tukaram Mundhe
 Image Source:(Internet)
नागपुर।
नागपुर स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन से जुड़े फंड उपयोग के मामले में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी तुकाराम मुंढे (Tukaram Mundhe) को नागपुर पुलिस ने सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है। उद्योग मंत्री उदय सामंत ने विधानसभा में जानकारी देते हुए बताया कि नागपुर शहर पुलिस और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा की गई दो अलग-अलग जांचों में मुंढे के खिलाफ किसी भी प्रकार की अनियमितता या भ्रष्टाचार के सबूत नहीं मिले। यह मामला कोविड-19 काल के दौरान स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के लिए जारी किए गए करीब 20 करोड़ रुपये से जुड़ा था। उस समय तुकाराम मुंढे नागपुर महानगरपालिका के आयुक्त थे और साथ ही नागपुर स्मार्ट एंड सस्टेनेबल सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NSSCDCL) के कार्यकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार भी संभाल रहे थे।
 
विधानसभा में उठा मामला, जांच रिपोर्ट में आरोप निराधार
भाजपा विधायक कृष्णा खोपडे द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में मंत्री सामंत ने कहा कि कोविड काल में विभिन्न ठेकों के लिए 20 करोड़ रुपये के वितरण को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। खोपडे ने आरोप लगाया था कि मुंढे ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर NSSCDCL फंड से संबंधित आदेश दिए, जिसके बाद तत्कालीन महापौर और कुछ नगरसेवकों ने सदर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके अलावा स्मार्ट सिटी परियोजना की दो महिला अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न की शिकायत का भी जिक्र किया गया था, जिस पर लंबे समय से कोई अपडेट नहीं आने की बात सदन में उठाई गई। मंत्री सामंत ने बताया कि सदर पुलिस और ईओडब्ल्यू—दोनों ही जांचों में यह स्पष्ट हुआ कि एफआईआर में लगाए गए आरोप बेबुनियाद थे और मुंढे ने अपने अधिकारों के दायरे में रहकर ही निर्णय लिए थे।
 
दोनों जांचों में राहत, उत्पीड़न मामले की रिपोर्ट लंबित
मंत्री सामंत ने उपमुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से जवाब देते हुए कहा कि तत्कालीन नागपुर पुलिस आयुक्त की अध्यक्षता में गठित जांच समिति को भी सत्ता के दुरुपयोग का कोई प्रमाण नहीं मिला। वहीं, अपराध शाखा की आर्थिक अपराध इकाई के उपायुक्त ने भी रिपोर्ट में किसी तरह की वित्तीय अनियमितता से इनकार किया है। चर्चा में भाजपा नेता प्रविण दटके ने दोनों क्लीन चिट रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखने की मांग की और महिला अधिकारियों से जुड़े उत्पीड़न मामले की स्थिति पर सवाल उठाया। इस पर मंत्री सामंत ने आश्वासन दिया कि उत्पीड़न मामले की जांच रिपोर्ट एक माह के भीतर पूरी कर सदन में प्रस्तुत की जाएगी।
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