मानव बस्तियों में तेंदुओं के बढ़ते हमलों पर नई रणनीति! वन में छोड़ी जाएंगी बकरियां

10 Dec 2025 23:40:17
 
New strategy Leopard attacks
 Image Source:(Internet)
एबी न्यूज़ नेटवर्क।
महाराष्ट्र राज्य में तेंदुओं (Leopard) के बढ़ते हमलों को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में गंभीर चर्चा हुई, जिसके दौरान वन मंत्री गणेश नाईक ने एक अनोखी और आर्थिक दृष्टि से व्यवहारिक योजना का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि तेंदुओं को मानव बस्तियों से दूर रखने के लिए जंगलों में बड़ी संख्या में बकरियां छोड़ी जाएंगी, ताकि तेंदुए भोजन की तलाश में गांवों में न घुसें। यह प्रतिक्रिया एनसीपी (एसपी) के विधायक जितेंद्र आव्हाड की ध्यानाकर्षण सूचना के जवाब में सामने आई। नाईक ने बताया कि अगर तेंदुओं के हमलों में चार लोगों की मौत होती है, तो राज्य सरकार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देना पड़ता है। ऐसे में, उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि मुआवजे पर खर्च करने के बजाय इतने ही मूल्य की बकरियां जंगलों में छोड़ी जाएं, ताकि तेंदुए प्राकृतिक आवास में ही भोजन तलाशें।
 
तेंदुओं के व्यवहार में बदलाव और जनसंख्या वृद्धि चिंता का कारण
वन मंत्री ने कहा कि तेंदुओं का व्यवहार पिछले कुछ वर्षों में काफी बदला है। अब कई तेंदुए गहरे जंगलों की बजाय गन्ने के खेतों में रहने लगे हैं, जिससे वे बार-बार मानव बस्तियों के निकट दिखाई देते हैं। अहमदनगर (अहिल्या नगर), पुणे और नासिक जिले तेंदुओं की अधिक साइटसीइंग और हमलों से सबसे अधिक प्रभावित हैं। अधिकारियों के अनुसार, अब तेंदुओं के एक ही झुंड में चार शावकों का जन्म होना भी आम होता जा रहा है, जिससे उनकी आबादी तेजी से बढ़ रही है और मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ता जा रहा है। तेंदुओं की नसबंदी के प्रस्ताव पर नाईक ने कहा कि केंद्र सरकार ने फिलहाल केवल पांच तेंदुओं की ट्रायल आधार पर नसबंदी की अनुमति दी है, जिसके परिणाम तीन वर्ष बाद समीक्षा किए जाएंगे। राज्य छह महीने बाद इस संबंध में दायरा बढ़ाने हेतु केंद्र से पुनः अनुमति मांगेगा।
 
प्राकृतिक अवरोध और वनयुक्त क्षेत्रों में सुधार की पहल
वन मंत्री नाईक ने यह भी कहा कि तेंदुओं और बाघों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए ताडोबा जैसे घने जंगलों के आसपास बांस रोपण किया जाएगा, जो प्राकृतिक दीवार का काम करेगा। इसके अलावा, फलदार वृक्षों की कमी के चलते शाकाहारी जीव जंगलों से बाहर जा रहे हैं, जिसका पीछा करते हुए मांसाहारी जीव भी मानव बस्तियों तक पहुंच जाते हैं। इस समस्या को देखते हुए अधिकारियों को अधिक फलदार पेड़ लगाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि तेंदुआ वर्तमान में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अनुसूची-1 में सूचीबद्ध है, जिससे हस्तक्षेप सीमित रहता है। इसलिए राज्य सरकार ने तेंदुए को अनुसूची-2 में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा है ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन में अधिक लचीलापन मिल सके।
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