‘ड्रामा नहीं, डिलिवरी’ बयान पर सियासी टकराव तेज! विपक्ष ने PM मोदी को बताया ‘सबसे बड़ा ड्रामेबाज'

    01-Dec-2025
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- संसद के सत्र से पहले PM मोदी का तल्ख बयान

Opposition PM ModiImage Source:(Internet) 
नई दिल्ली।
शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Modi) ने मीडिया से बातचीत में विपक्ष पर अप्रत्यक्ष हमला बोलते हुए कहा कि संसद में “ड्रामा नहीं, डिलिवरी होनी चाहिए”। उन्होंने कहा कि भारत ने लोकतंत्र को केवल देखा नहीं, बल्कि जिया है, और अब जरूरत है कि संसद उन योजनाओं पर काम करे जो देश के भविष्य को दिशा देंगी। प्रधानमंत्री मोदी ने बिना नाम लिए विपक्ष के चुनावी प्रदर्शन पर भी तंज कसा और कहा कि “जो चुनाव हार गए हैं, उन्हें दुःख से बाहर निकलकर संसद में ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सत्र मात्र औपचारिकता नहीं है, बल्कि लोकतंत्र के आत्मविश्वास को मजबूत करने का अवसर है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि संसद को नीतियों और उनके क्रियान्वयन पर चर्चा करनी चाहिए, न कि सिर्फ नारेबाजी और व्यवधान में समय गंवाना चाहिए।
 
विपक्ष का कड़ा पलटवार
प्रधानमंत्री के इस बयान के तुरन्त बाद विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि प्रधानमंत्री का यह बयान “कपटी और खोखला” है। उन्होंने कहा कि “जो खुद सबसे बड़ा ड्रामेबाज़ है, वही दूसरों को ड्रामा कह रहा है।” खड़गे ने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में भाजपा सरकार ने संसद की गरिमा और परंपराओं को लगातार आहत किया है। खड़गे ने कुछ उदाहरणों का हवाला देते हुए लिखा कि सदन में बिना चर्चा कानून पारित करना, विपक्ष की आवाज़ दबाना और फैसलों को बिना बहस लागू करना ये सब संसद की गरिमा के विपरीत है। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार को अब ध्यान भटकाने की राजनीति छोड़कर बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की समस्याओं और चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर चर्चा करनी चाहिए।
 
हंगामे के बीच लोकसभा स्थगित, बहस की मांग पर जोर
इस विवाद के बीच लोकसभा की कार्यवाही विपक्षी हंगामे के चलते दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई। विपक्ष विशेष रूप से चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) के मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग कर रहा है। विपक्ष का दावा है कि यह प्रक्रिया चुनावी पारदर्शिता और निष्पक्षता से जुड़ी है, इसलिए संसद में इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जैसे-जैसे सत्र आगे बढ़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और विपक्ष के बीच यह टकराव संवाद में बदलेगा या सियासी नारों और आरोपों में ही उलझा रहेगा। फिलहाल, शीतकालीन सत्र की शुरुआत ने देश की राजनीति में नया ताप जरूर बढ़ा दिया है।