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नागपुर :
नागपुर महानगरपालिका (NMC) ने शहरभर में भिक्षुकों की स्थिति को समझने और उनके पुनर्वास के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। 1.32 करोड़ की सामाजिक विकास योजना के तहत एनएमसी ने व्यापक “भिक्षुक सर्वेक्षण” की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य शहर के सबसे कमजोर वर्ग को सम्मान, संरचना और अवसर प्रदान करना है।
डिजिटल डाटाबेस बनेगा आधार, हर छह महीने होगा सर्वेक्षण
महानगर आयुक्त डॉ. अभिजीत चौधरी और उप आयुक्त (सामाजिक विकास) डॉ. रंजन रामकृष्ण लाडे के मार्गदर्शन में टीमें शहर के मंदिरों, बाजारों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भिक्षुकों का सर्वे कर रही हैं। प्रत्येक व्यक्ति का डिजिटल पंजीकरण किया जाएगा, जिसमें उनकी आयु, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल क्षमता जैसी जानकारियाँ दर्ज होंगी। यह डाटा भविष्य की योजनाओं का आधार बनेगा और हर छह महीने में अद्यतन किया जाएगा ताकि समाजसेवी नीतियाँ ठोस आंकड़ों पर आधारित हों।
150 क्षमता वाले पुनर्वास केंद्र की तैयारी, एनजीओ का सहयोग
एनएमसी ने 150 क्षमता वाले पुरुष भिक्षुक पुनर्वास केंद्र की भी योजना बनाई है, जिसमें डॉरमेट्री, रसोईघर, काउंसलिंग रूम, मेडिकल रूम, सीसीटीवी और 24×7 सुविधाएँ शामिल होंगी। यहाँ लाभार्थियों को भोजन, वस्त्र, स्वास्थ्य सेवा और व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। एनजीओ की मदद से आधार कार्ड, बैंक खाते और पहचान पत्र भी बनाए जाएंगे। परियोजना के अंतर्गत बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य होगी और छह महीनों में 80% पुनर्वास सफलता का लक्ष्य रखा गया है। अधिकारियों के अनुसार, यह कोई सख्त कार्रवाई नहीं बल्कि करुणा और उत्तरदायित्व पर आधारित “डेटा-लीड सामाजिक सुधार” है, जो सड़कों पर जीवन यापन कर रहे लोगों को फिर से समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास है।