- ICT के फैसले पर कड़ा बयान
Image Source:(Internet)
एबी न्यूज़ नेटवर्क।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने उनके खिलाफ सुनाए गए फैसले को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। बांग्लादेश अवामी लीग द्वारा साझा किए गए बयान में हसीना ने कहा कि यह फैसला एक “धांधली वाले ट्रिब्यूनल” ने सुनाया है, जिसे बिना लोकतांत्रिक जनादेश वाली अंतरिम सरकार ने बनाया है। उन्होंने कहा, “मेरे खिलाफ दिए गए ये फैसले पक्षपातपूर्ण, पूर्वाग्रह से भरे और राजनीतिक प्रतिशोध की उपज हैं। यह अंतरिम सरकार के चरमपंथी तत्वों की मेरे खिलाफ हत्या की योजना का हिस्सा है।” हसीना ने कहा कि ट्रिब्यूनल का मकसद न्याय नहीं, बल्कि उन्हें राजनीतिक रूप से खत्म करना है।
यूनुस सरकार पर गंभीर आरोप
हसीना ने डॉ. मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार को अराजक, हिंसक और लोकतंत्र विरोधी बताते हुए कहा कि देश में कानून व्यवस्था चरमरा गई है और सार्वजनिक संस्थान विफल हो चुके हैं। उन्होंने कहा, “देश में पुलिस पीछे हट चुकी है, अपराध बढ़ चुके हैं और पत्रकारों को प्रताड़ित किया जा रहा है। हिंदू तथा अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं, जबकि महिलाओं के अधिकारों को दबाया जा रहा है।” हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस सरकार चुनावों में देरी कर रही है और अवामी लीग को चुनाव प्रक्रिया से बाहर रखकर लोकतंत्र को कमजोर कर रही है।
न्यायिक प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न
पूर्व प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि उन्हें अदालत में निष्पक्ष सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया और उनके वकीलों को पेश होने की अनुमति नहीं मिली। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ तथाकथित इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने एकतरफा कार्रवाई की है और सिर्फ अवामी लीग नेताओं को निशाना बनाया गया है। उन्होंने कहा, “जो न्यायाधीश या वरिष्ठ वकील अवामी लीग के प्रति सहानुभूति रखते थे, उन्हें धमकाया गया या हटा दिया गया।” उन्होंने चुनौती दी कि यदि सरकार को भरोसा है तो यह मामला अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) में ले जाए, जहां वह निर्दोष साबित होंगी।
विकास कार्यों का हवाला, फैसले को बदले की राजनीति बताया
शेख हसीना ने कहा कि उन्होंने अपने शासनकाल में मानवाधिकारों को महत्व दिया और देश को विकास के नए स्तर पर पहुंचाया। उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों को शरण देने, बिजली और शिक्षा विस्तार करने और 15 वर्षों में 450% GDP वृद्धि का दावा किया। उन्होंने कहा, “ये उपलब्धियां उन सरकारों की नहीं हो सकतीं जो मानवाधिकारों को नजरअंदाज करती हैं।” वहीं, सोमवार को ढाका की अदालत ने 2024 के विद्रोह के दौरान कथित मानवता विरोधी अपराधों के आरोप में शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई। 78 वर्षीय हसीना वर्तमान में भारत में निर्वासन में हैं और ट्रायल उनकी अनुपस्थिति में हुआ।