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नागपुर।
नागपुर (Nagpur) शहर ने पशु कल्याण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम रखा है। अब शहर में पहली बार ऐसा स्थान उपलब्ध हुआ है जहां पालतू या आवारा हर जानवर को सम्मानजनक विदाई दी जा सकेगी। जब कोई पालतू जानवर परिवार का हिस्सा बन जाता है, तब उसकी विदाई भी उतनी ही भावनात्मक होती है जितनी उसकी उपस्थिति। ऐसे में, अंतिम यात्रा के लिए संसाधन न मिलना कई परिवारों के लिए पीड़ा और असहायता का कारण बनता है। इसी पीड़ा को बदलकर सेवा में बदल दिया है राइज एनजीओ ने, जिसने राइज फॉर टेल्स सेंटर में नागपुर का पहला पेट क्रीमेशन सेंटर शुरू किया है। यह केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि भावनाओं, संवेदना और पशु अधिकारों को समझने की दिशा में एक बड़ी पहल है जिससे शहर में इंसान और पशु के को-एक्जिस्टेंस का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है।
यादों का सम्मान
इस पेट क्रीमेशन सेंटर की शुरुआत एक दुखद अनुभव से हुई। जब संस्थापक परिवार ने अपने प्रिय डॉग कोको को खो दिया, तब उन्हें भारी बारिश के बीच सही जगह न मिलने की परेशानियों का सामना करना पड़ा। उसी क्षण उन्होंने तय किया कि भविष्य में कोई भी परिवार इस दर्द से न गुजरे। इस सोच की नींव पर खड़ा हुआ यह केंद्र न सिर्फ पालतू पशुओं बल्कि घायल और मृत आवारा जानवरों के लिए भी अंतिम सम्मान सुनिश्चित करेगा।
हाइड्रोथेरेपी और अत्याधुनिक पशु उपचार सुविधाएं
क्रिमेशन सेवा के साथ Rise For Tails ने नागपुर में पहली बार हाइड्रोथेरेपी भी शुरू की है, जो घायल या लकवाग्रस्त जानवरों के पुनर्वास के लिए उन्नत उपचार प्रक्रिया है। यह 24×7 कार्यरत केंद्र शहर का एकमात्र ऐसा एनिमल रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर है। यहां एम्बुलेंस सेवा, ऑपरेशन थिएटर, हॉस्पिटलाइजेशन वार्ड, सब्सिडाइज्ड OPD, दो पशु चिकित्सक और 10 प्रशिक्षित स्टाफ लगातार सेवा में जुटे हैं। पिछले 5 वर्षों में इस NGO ने 10,000 से अधिक जानवरों को बचाया और उपचार किया है, साथ ही 5,000 से अधिक नसबंदी सर्जरी के साथ हर पशु को रेबीज वैक्सीन भी लगाया है।
शिक्षा के माध्यम से सह-अस्तित्व का संदेश
Rise For Tails सिर्फ उपचार और बचाव तक सीमित नहीं है, बल्कि वह 'सहजीवन – कोएक्जिस्टेंस प्रोजेक्ट' के माध्यम से स्कूलों में मानवता और पशु व्यवहार की शिक्षा दे रहा है। यहाँ बच्चों को सड़क पर रहने वाले पशुओं के प्रति संवेदनशीलता, डॉग बिहेवियर, रेबीज से बचाव और पशु संरक्षण कानूनों के बारे में जागरूक किया जाता है। संस्थापक गौरी का मानना है कि “Rise For Tails सिर्फ शेल्टर नहीं, बल्कि एक भावनात्मक सहारा है। हमारा मकसद है कि कोई भी परिवार और कोई भी पशु असहाय महसूस न करे।”