कोल्हापुर से निकला नया राजनीतिक संदेश
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एबी न्यूज़ नेटवर्क।
महाराष्ट्र की राजनीति में चल रहे उथलपुथल के बीच अब एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। लंबे समय से अलग राह पर चल रही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दोनों गुट आखिरकार एक साथ आते दिख रहे हैं। शरद पवार और अजित पवार के नेतृत्व वाले दोनों गुटों ने कोल्हापुर जिले के चांदगढ़ में हाथ मिलाया है। इस ऐतिहासिक एकता की पहल राज्य के मंत्री हसन मुश्रीफ (Hasan Mushrif) ने की, उन्होंने स्पष्ट किया कि यह गठबंधन केवल सत्ता के लिए नहीं, बल्कि स्थानीय जनहित के लिए है। भाजपा से दूरी बनाते हुए दोनों गुटों का एक मंच पर आना आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए बड़ा राजनीतिक संकेत माना जा रहा है।
महागठबंधन में दरार, नया समीकरण तैयार
कुछ महीने पहले तक शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस (एपी गुट) अलग-अलग रास्तों पर थीं। अजित पवार ने महागठबंधन में शामिल होकर सत्ता में अपनी जगह बनाई, जबकि शरद पवार ने भाजपा के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से साफ इनकार किया था। इस राजनीतिक खींचतान के बीच अब दोनों गुटों का एक होना महाराष्ट्र की सियासत में नए अध्याय की शुरुआत है। हसन मुश्रीफ की पहल से चांदगढ़ में कुपेकर समूह और राजेश पाटिल के साथ मिलकर गठबंधन बनाया गया है, जिसने सभी राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
स्थानीय चुनावों के मद्देनजर एकता का फार्मूला
आगामी नगर पंचायत और जिला परिषद चुनावों को देखते हुए यह एकता बेहद रणनीतिक मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर दोनों राष्ट्रवादी एकजुट होकर मैदान में उतरते हैं, तो विपक्षी दलों को बड़ी चुनौती मिलेगी। खासकर भाजपा, जो अब तक दोनों गुटों की फूट का फायदा उठा रही थी, उसे अब नए समीकरणों से जूझना पड़ सकता है। हसन मुश्रीफ ने कहा, “हमारा मकसद केवल चुनाव जीतना नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदों को एक मंच पर लाना है।”
कांग्रेस भी साथ आने को तैयार, बनेगा नया ‘त्रिकोणीय मोर्चा’
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस भी इस नए समीकरण में शामिल होने की तैयारी में है। नंदाताई बाभुळकर और राजेश पाटिल, जो पहले विधानसभा चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ थे, अब एक मंच पर आने को तैयार हैं। यदि यह गठबंधन साकार होता है, तो कोल्हापुर में कांग्रेस और दोनों एनसीपी गुटों का स्वतंत्र गठबंधन दिखाई देगा। राजनीतिक पंडितों के मुताबिक, यह गठबंधन न केवल स्थानीय चुनावों में बल्कि राज्य की राजनीति में भी नए समीकरण स्थापित कर सकता है। इस एकजुटता के साथ यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस एक बार फिर ‘एक झंडा, एक लक्ष्य’ की भावना से आगे बढ़ना चाहती है और इस बार इसकी शुरुआत कोल्हापुर से हुई है।