पंजाब विश्वविद्यालय में उबाल! सीनेट चुनाव की मांग पर छात्रों का प्रदर्शन, पुलिस ने किया लाठीचार्ज

10 Nov 2025 20:21:34
सीनेट चुनाव की मांग पर छात्रों का गुस्सा फूटा

Punjab University erupts StudentsImage Source:(Internet) 
एबी न्यूज़ नेटवर्क।
चंडीगढ़ (Punjab) स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में सोमवार को छात्रों का आक्रोश चरम पर पहुंच गया। ‘पंजाब यूनिवर्सिटी बचाओ मोर्चा’ के बैनर तले सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने सीनेट चुनावों की घोषणा की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। हालात उस समय बिगड़ गए जब पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हो गई, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया। प्रदर्शन के दौरान पूरे परिसर में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई और मुख्य प्रवेश द्वारों पर बैरिकेड्स लगा दिए गए। छात्र संगठनों ने चेतावनी दी है कि जब तक चुनाव की तारीख की आधिकारिक घोषणा नहीं की जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
 
 
सरकार के फैसले से नहीं थमा विरोध, विश्वविद्यालय बना छावनी
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में पंजाब विश्वविद्यालय अधिनियम, 1947 में संशोधन से जुड़ा विवादास्पद आदेश वापस ले लिया था। इस आदेश में विश्वविद्यालय की सीनेट की सदस्य संख्या 91 से घटाकर 31 करने और सिंडिकेट के चुनाव समाप्त करने का प्रस्ताव था। हालांकि केंद्र द्वारा 7 नवंबर को यह आदेश रद्द कर दिया गया, लेकिन छात्रों का कहना है कि मुख्य मांग सीनेट चुनाव कराना अब भी पूरी नहीं हुई है। वहीं, प्रदर्शन के मद्देनजर विश्वविद्यालय प्रशासन ने सोमवार और मंगलवार को छुट्टी की घोषणा कर दी। केवल वैध पहचान पत्र वाले लोगों को ही परिसर में प्रवेश की अनुमति दी गई। छात्र परिषद के उपाध्यक्ष अशमीत सिंह ने कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन पुलिस ने अनावश्यक रूप से बल प्रयोग किया।
 
राजनीतिक नेताओं और जनसमूह का मिला समर्थन
छात्रों के आंदोलन को अब राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिलने लगा है। पंजाब के कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह खुडियान, विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा, कांग्रेस सांसद धर्मवीर गांधी और अमर सिंह, विधायक राणा गुरजीत सिंह, तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल ने छात्रों की मांगों का समर्थन किया है। किसान संगठनों और कला जगत से जुड़े कई लोगों ने भी छात्रों के साथ एकजुटता दिखाई है। पंजाब विश्वविद्यालय में इस विरोध ने न केवल शैक्षणिक माहौल को हिला दिया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं में प्रतिनिधित्व और पारदर्शिता को लेकर युवाओं का विश्वास कब तक परीक्षा में डाला जाएगा।
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