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एबी न्यूज़ नेटवर्क।
प्यार, समर्पण और वैवाहिक बंधन का प्रतीक पर्व करवा चौथ (Karva Chauth) इस वर्ष 10 अक्टूबर यानी शुक्रवार को मनाया जाएगा। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हुए निर्जला व्रत (बिना अन्न और जल के) रखती हैं। करवा चौथ का संबंध करवा माता की आराधना से भी है, जिनके आशीर्वाद से दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
सरगी का विशेष महत्व
करवा चौथ की शुरुआत तड़के ‘सरगी’ से होती है, जो सास द्वारा अपनी बहू को प्रेमपूर्वक दी जाती है। यह भोजन न केवल परंपरा का प्रतीक है बल्कि पूरे दिन निर्जला व्रत रखने की शक्ति भी प्रदान करता है। इस वर्ष ब्रह्म मुहूर्त में सरगी का शुभ समय सुबह 4:40 से 5:30 बजे तक रहेगा। महिलाएं इसी समय सरगी ग्रहण करती हैं और फिर सूर्योदय के बाद व्रत का संकल्प लेती हैं।
चंद्रोदय और व्रत के नियम
पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर रात 10:54 बजे से प्रारंभ होकर 10 अक्टूबर शाम 7:38 बजे समाप्त होगी, जबकि चंद्रोदय का समय रात 7:42 बजे रहेगा। महिलाएं चंद्र दर्शन के बाद छलनी से चांद देखती हैं, अर्घ्य अर्पित करती हैं और पति के हाथों से पहला जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं। व्रत के दिन काले और सफेद वस्त्र पहनने से परहेज, तेजधार वस्तुओं का उपयोग न करने, तथा सफेद वस्तुएं (जैसे चावल, दूध, दही) दान न करने की सलाह दी गई है। यह दिन प्रेम, संयम और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है।