वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक परंपराओं के साथ संपन्न हुई प्रक्रिया
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उत्तराखंड :
भाई दूज के पावन अवसर पर आज विश्व प्रसिद्ध श्री केदारनाथ (Kedarnath) धाम और श्री यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकालीन अवधि के लिए विधिवत रूप से बंद कर दिए गए। श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट सुबह 8:30 बजे वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक परंपराओं के साथ बंद किए गए। इससे पूर्व सुबह चार बजे से विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी प्रतीक जैन, पुलिस अधीक्षक अक्षय कोंडे, बद्री-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय थपलियाल, तीर्थ पुरोहितगण और भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कपाट बंद होने के पश्चात बाबा केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हो गई।
डोली केदारनाथ से ऊखीमठ के लिए रवाना
कपाट बंद होते ही बाबा केदारनाथ की डोली का पहला पड़ाव रामपुर में रहेगा, जिसके बाद वह शुक्रवार को गुप्तकाशी पहुंचेगी। 25 अक्टूबर को डोली अपने गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ में विराजमान होगी, जहाँ शीतकाल के दौरान श्रद्धालु भगवान केदारनाथ के दर्शन कर सकेंगे। इस वर्ष की यात्रा के दौरान 17.39 लाख से अधिक भक्तों ने श्री केदारनाथ धाम पहुंचकर दर्शन किए। मौसम में बढ़ती ठंड और दोपहर बाद छाने वाले कोहरे के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं दिखी। बुधवार को भी पाँच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त किया।
श्री यमुनोत्री धाम के कपाट भी हुए बंद
इसी के साथ उत्तरकाशी स्थित श्री यमुनोत्री धाम के कपाट भी आज दोपहर 12:30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद मां यमुना की उत्सव डोली खरसाली गांव के लिए रवाना होगी, जहाँ आने वाले कुछ महीनों तक श्रद्धालु मां यमुना के दर्शन कर सकेंगे। इस वर्ष यमुनोत्री धाम में 6.44 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। दोनों धामों के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा का शीतकालीन चरण प्रारंभ हो गया है, जो अगले वर्ष वसंत ऋतु में पुनः कपाट खुलने तक जारी रहेगा।