Image Source:(Internet)
नागपुर :
भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) ने आज नागपुर स्थित ऐतिहासिक दीक्षाभूमि का दौरा किया। उन्होंने भगवान बुद्ध और भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। दीक्षाभूमि वह पावन स्थल है जहां 1956 में डॉ. आंबेडकर ने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म को अपनाया था। यह स्थान आज भी समानता, करुणा और सामाजिक न्याय का प्रतीक माना जाता है।
स्तूप और प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि, मौन ध्यान में शामिल
कोविंद सुबह दीक्षाभूमि पहुंचे, जहां उन्होंने स्तूप और आंबेडकर व बुद्ध की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित किए। इस दौरान उन्होंने मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी और ध्यान साधना में भी हिस्सा लिया। पूर्व राष्ट्रपति ने वहां उपस्थित श्रद्धालुओं और आगंतुकों से संवाद करते हुए डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रेरित आदर्शों की सराहना की। उन्होंने कहा कि सम्मान, मानवाधिकार और भेदभाव-रहित समाज की ओर बढ़ने की प्रेरणा इस स्थल से मिलती है।
आंबेडकर की विरासत और सामाजिक समानता का संदेश
अपने संबोधन में कोविंद ने कहा कि डॉ. आंबेडकर की विरासत केवल एक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अन्याय का मुकाबला करने और वंचित समुदायों को सशक्त बनाने का सतत आह्वान है। उन्होंने कहा कि दीक्षाभूमि जैसे स्थल केवल स्मारक नहीं बल्कि जीवंत प्रेरणा स्थल हैं, जो भारतीय समाज को सामाजिक समानता और संवैधानिक मूल्यों की ओर आगे बढ़ने का संदेश देते हैं। इस मौके पर स्थानीय प्रशासन के अधिकारी, मंदिर ट्रस्टी और सामुदायिक नेता उपस्थित रहे। सुरक्षा और व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए विशेष इंतजाम किए गए थे। दीक्षाभूमि आज भी हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती है, खासकर बौद्ध पर्वों और डॉ. आंबेडकर के धर्मांतरण दिवस पर।