फोर्स के 13 साल: जॉन अब्राहम के यह 5 दमदार डायलॉग्स इसे आज भी बनाते हैं खास!

    30-Sep-2024
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13 years of Force
 (Image Source : YouTube Video/ Thumbnail)
 
मुंबई :
2011 में रिलीज हुई 'फोर्स' (13 years of Force) एक अनोखी एक्शन थ्रिलर थी, जिसने रिलीज होते ही काफी उत्साह पैदा कर दिया था। एक प्रोड्यूसर के रूप में, विपुल अमृतलाल शाह ने एक बार फिर एक्शन, बेहतरीन कास्ट और जबरदस्त म्यूजिक से भरपूर एक रोमांचक कहानी पेश की। निशिकांत कामत द्वारा डायरेक्टेड फ़ोर्स एक कंप्लीट एंटरटेनर फ़िल्म थी। इसमें जॉन अब्राहम, विद्युत जामवाल और जेनेलिया डिसूज़ा लीड रोल्स में थे। फ़िल्म में जहाँ भरपूर एक्शन था, वहीं जॉन अब्राहम के कुछ दमदार डायलॉग भी थे, जिन्होंने सभी का दिल जीता। अब जब फिल्म को 13 साल हो गए हैं, तो यह इसकी कुछ सबसे महत्वपूर्ण लाइनों पर नजर डालने का एक सही मौका है।
 
"नींद की दवाई मत देना... नहीं तो होश में आते ही पहले तुम्हें मार दूंगा..."
 
इस डायलॉग में जॉन की इंटेंसिटी देखने लायक थी। कहना होगा की उनकी जबरदस्त डिलीवरी ने दर्शकों के रोंगटे खड़े कर दिए।
 
 
"मुझे टपोरी को देखते ही उसकी औकात का अंदाजा हो जाता है..."
 
जॉन ने इस लाइन के साथ ए.सी.पी. यशवर्धन के आकर्षण को बिल्कुल सही तरह से दिखाया है। उनके स्ट्रॉन्ग प्रेसेंस ने डायलॉग के साथ मिलकर दिखाया है कि वो अपने दुश्मनों को आसानी से धूल चटाने के लिए तैयार हैं।
 
 
"साइज देख के बात किया कर। बच्चे के हाथ से बर्फ का गोला नहीं छीनना है... फ्रांसिस के हाथ से माल छीनना है..."
 
जॉन को मजबूत आवाज और शानदार प्रेसेंस ने इस डायलॉग को खास बना दिया है। इसने दिखाया है कि वो विलेन का सामना करने में कितने कॉन्फिडेंट हैं। चाहे विलेन कितना भी मजबूत क्यों न हो, जॉन की डिलीवरी ने ये दिखाया है कि उन्हें अपनी काबिलियत पर भरोसा है कि वो अपने दुश्मन को दबोच सकते हैं।
 
"आठ साल के पुलिस करियर में एक फियरलेस पुलिस ऑफिसर कहने के पीछे एक क्लियर वजह थी। न कोई आगे, न कोई पीछे।"
 
ए.सी.पी. यशवर्धन की भूमिका में जॉन ने पूरी तरह से उस किरदार को निभाया है। इस डायलॉग ने उनकी साफ नजर आने वाली ईमानदारी और अपनी जिम्मेदारियों के लिए अडिग समर्पण पर रोशनी डाली है।
 
"कुछ लोग ऐसे ही होते हैं... मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट। कोई ट्रैजिक बैकस्टोरी नहीं।"
 
इस लाइन में, जॉन ने एक किरदार के बारे में बात की है, जिसमें उन्होंने एक ए.सी.पी. के रूप में अपने अनुभव को दर्शाया है। इससे पता चलता है कि वह जिस व्यक्ति का सामना कर रहे हैं, उसे कितनी अच्छी तरह समझते हैं, जिससे उनकी भूमिका में और गहराई आ जाती है।