Chhattisgarh : आदिवासी युवाओं को पैरा टैक्सोनॉमी प्रशिक्षण और रोजगार के नए अवसर

    02-Sep-2024
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- ग्रीन स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत एक विशेष आयोजन

- विष्णुदेव साय सरकार की आदिवासी समुदाय के लिए पहल

para taxonomy training and new employment opportunities for tribal youth in chhattisgarh
(Image Source: Internet)

रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य की विष्णुदेव साय सरकार वन विभाग के आदिवासी समुदाय (Tribal youth in Chhattisgarh) को नई दिशा प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। हाल ही में वन विभाग ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए ग्रीन स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत एक विशेष कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छत्तीसगढ़ के आदिवासी युवाओं को स्वावलंबी बनाना और उन्हें जंगल संरक्षण के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करना है। प्रशिक्षण में युवाओं को पैराटैक्सोनॉमी, एक महत्वपूर्ण विषय, सिखाया जाएगा, जो जैव विविधता संरक्षण के लिए अत्यंत उपयोगी है। पैराटैक्सोनॉमी जैविक अनुसंधान के लिए विभिन्न प्रजातियों की शीघ्र पहचान और वर्गीकरण की विधि है, जो छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में भविष्य में महत्वपूर्ण साबित होगी।

वन प्रमुख वी. श्रीनिवास राव ने दिया योजना का विवरण

इस प्रशिक्षण के बाद, प्रतिभागी नेशनल पार्क गाइड, पर्यटक गाइड, नेचर कैंप मैनेजर, और पारंपरिक चिकित्सक जैसे विभिन्न पेशों में अवसर प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा, बोटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया जैसी संस्थाओं में भी रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। वन मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में जनजातीय समुदाय के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, जिनका लाभ आदिवासी युवाओं को भी मिल सकेगा। छत्तीसगढ़ राज्य के वन प्रमुख वी. श्रीनिवास राव ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की योजना का विवरण देते हुए कहा कि यह पहल स्थानीय समुदायों को छत्तीसगढ़ की जैव विविधता संरक्षण में शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल युवा प्रशिक्षित होंगे बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी इस विषय की जानकारी प्राप्त होगी।

प्रशिक्षण तक सिमित नहीं

छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव आईएफएस राजेश कुमार चंदेले ने बताया कि पैराटैक्सोनॉमी पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जैव संकेतक (बायो इंडिकेटर) पौधों की पहचान करके यह विधि पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी और संसाधन संरक्षण में सहायता करती है। बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने इस परियोजना पर जोर देते हुए कहा कि यह कार्यक्रम केवल प्रशिक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि पैराटैक्सोनॉमी में कौशल प्रदान करके हम एक ऐसी पीढ़ी को प्रोत्साहित कर रहे हैं जो न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूक है बल्कि उसे बचाने के लिए सक्रिय रूप से प्रयासी है।

53 युवा शामिल

इस प्रशिक्षण में कुल 53 युवा शामिल हुए, जिनमें 40 जनजातीय युवा थे, जिनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि 10वीं से लेकर स्नातक तक थी। प्रशिक्षण 22 जुलाई से 18 अगस्त तक छत्तीसगढ़ राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित किया गया था। 30 दिवसीय इस प्रशिक्षण के दौरान, प्रतिभागियों ने कक्षा शिक्षण और फील्ड वर्क दोनों में भाग लिया और जंगल सफारी, मोहरेंगा, सिरपुर, अर्जुनी, बारनवापारा और उदंती वन्यजीव अभयारण्य जैसे स्थानों पर विभिन्न प्रजातियों की पहचान और दस्तावेजीकरण किया। प्रशिक्षण के दौरान 93 प्रकार के मैक्रोफंगी, 153 प्रकार की वनस्पतियां, 47 औषधीय पौधे और 187 प्रकार के बीज की पहचान और दस्तावेजीकरण किया गया। प्रशिक्षण के सफल समापन के बाद, प्रदेश के अन्य इलाकों में भी इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है।