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नागपुर :
एसटी कर्मचारियों को अप्रैल 2020 से मूल वेतन में 6,500 रुपये की बढ़ोतरी देने का निर्णय लिया गया था। हालांकि, वेतन निर्धारण में यदि कर्मचारियों को अधिक वेतन मिल जाता है, तो उन्हें उसे वापस करना होगा, ऐसा वचनपत्र प्रशासन ने कर्मचारियों से लिखवा लिया है। महाराष्ट्र एसटी कर्मचारी कांग्रेस के महासचिव श्रीरंग बरगे ने आरोप लगाया है कि यह स्थिति केवल अन्य यूनियनों को श्रेय न देने के लिए पैदा की गई है।
राज्य में एसटी के विभाग नियंत्रक और अन्य अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे कर्मचारियों से वचनपत्र लिखवाकर रखें। किसी भी संस्था में वेतन वृद्धि का समझौता यूनियनों के प्रतिनिधियों की सहमति से होता है, लेकिन इस मामले में मान्यता प्राप्त यूनियन कोर्ट के आदेश के कारण हस्ताक्षर नहीं कर सकी। बरगे ने कहा कि यदि उस समय सभी उपस्थित यूनियन प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर लिए गए होते, तो वेतन वृद्धि में होने वाली त्रुटियों की जिम्मेदारी उन यूनियनों पर होती।
एसटी कर्मचारियों को 1 अप्रैल 2020 से घोषित वेतन वृद्धि के संदर्भ में कर्मचारियों से वचनपत्र प्राप्त करके उनके व्यक्तिगत फाइलों में सुरक्षित रखने के निर्देश दिए गए हैं। यह भी बताया गया है कि यदि किसी कर्मचारी का वचनपत्र प्राप्त नहीं होता है, तो उसकी वेतन निर्धारण प्रक्रिया पूरी नहीं की जाएगी।
बरगे ने आरोप लगाया है कि सरकार के दबाव के कारण यह पूरा खेल चल रहा है ताकि आंदोलन करने वाली यूनियनों को श्रेय न मिले और कर्मचारियों को आर्थिक मांगों में राहत न मिले।