शालिनीताई मेघे हॉस्पिटल ने बच्चों को दिया द जॉय ऑफ साउंड का उपहार

    12-Sep-2024
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Shalinitai Meghe Hospital
 
नागपुर।
वानाडोंगरी में शालिनीताई मेघे अस्पताल (Shalinitai Meghe Hospital) और अनुसंधान केंद्र ने श्रवण हानि के साथ पैदा हुए तीन बच्चों पर कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी करके एक मील का पत्थर पार कर लिया है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर, इन नन्हें बच्चों के लिए प्रिय लंबोदर का आगमन भविष्य की विकलांगताओं के लिए एक वास्तविक निवारक रहा है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना (आरबीएसके) के तहत मिलने वाली वित्तीय सहायता से यह संभव हुआ है।
 
विधायक समीर मेघे, अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अनूप मरार, डॉ. वसंत गावंडे चिकित्सा अधीक्षक के हाथों इन छोटे बालकों को हाल ही में हियरिंग किट वितरित किए गए। इस अवसर पर विधायक मेघे ने अस्पताल टीम की समर्पण भावना, रोगी केंद्रित स्वास्थ्य सेवा के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वसंत गावंडे ने इस योजना में आयु सीमा २ से बढ़ाकर ५ वर्ष करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. मेयो के संस्थापक डॉ. डॉ. रवि चव्हाण, जिला सर्जन निवृत्ति राठौड़ ने इस पहल के लिए आभार व्यक्त करते हुए बच्चों की श्रवण हानि को दूर करने के लिए सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया। गंभीर श्रवण दोष के साथ पैदा हुए बच्चों के लिए कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी एक वरदान है। इसमें कान के खराब हिस्सों को दरकिनार कर एक इलेक्ट्रॉनिक चिकित्सा उपकरण कान में प्रत्यारोपित किया जाता है।
 
इसलिए, ध्वनि तरंगें आंतरिक कान तक पहुंचती हैं और श्रवण तंत्रिका को उत्तेजित करती हैं। इससे मरीज़ों को अपनी ध्वनि की समझ वापस पाने में मदद मिल सकती है। शालिनीताई मेघे रिसर्च सेंटर के बहुविषयक विभाग ने तीनों शिशुओं की भविष्य की विकलांगता को समाप्त करते हुए इन सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया है। इस टीम में मार्गदर्शक एवं इंदिरा गांधी राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं नाक-कान-गला विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. जीवन वेदी, अस्पताल विभाग के प्रमुख डॉ. अजय देशपांडे, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. समीर चौधरी, डॉ. सानिका कलांबे घाटे, सहायक प्रोफेसर डॉ प्रसन्ना मून शामिल थे।