म्हाडा के सीईओ संजीव जायसवाल को नोटिस

12 Sep 2024 16:46:02
- अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

MHADA CEO Sanjeev Jaiswal(Image Source : Internet) 
नागपुर।
हाईकोर्ट के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक अपील पर सुनवाई के बाद दिए गए आदेशों के अनुसार समान याचिका होने के कारण हाईकोर्ट ने विजय नारनवरे की याचिका पर भी उसी आधार पर निर्णय करने के आदेश जारी किए थे। ८ सप्ताह में मामले का निपटारा करने के आदेश वर्ष २०२३ में ही दिए गए। किंतु आदेशों का पालन नहीं किए जाने के कारण अव हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई। जिस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाड़ा) के सीईओ संजीव जायसवाल को नोटिस जारी कर जवाव दायर करने के आदेश दिए।
 
याचिकाकर्ता की ओर से आरोप लगाया गया कि प्रतिवादी म्हाडा की ओर से ३ अक्टूबर २०२३ के आदेशों का पालन नहीं किया है। नारनवरे की ओर से दाबर दिवानी याचिका पर कोर्ट के आदेशों में कहा गया था कि दोनों पक्षों के वकील इस बात से सहमत है कि नागपुर हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट बोर्ड बनाम हरी विठ्ठल घुगुसकर में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिविल अपील संख्या १०६९४/२०१७ में २१ अगस्त २०१७ को दिए गए निर्णय के मद्देनजर, आवंटियों को २,४०० रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से आवंटन की तिथि से लेकर उसके वास्तविक भुगतान तक ६१% प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्याज के साथ भुगतान करना आवश्यक है। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि उन्होंने सुको के फैसले के अनुसार भी निर्धारित राशि से अधिक का भुगतान किया है। ऐसे में उनके द्वारा भुगतान की गई। अतिरिक्त राशि वापस दी जानी चाहिए।
 
कोर्ट का मानना था कि चंद्रकांत बोटे बनाम राज्य सरकार के मामले में भी हाईकोर्ट ने २५ जुलाई २०१९ को आदेश जारी किया है। याचिका का निपटारा करते समय कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि जो जमीन याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराई गई, उसके लिए २.४०० रुपए वर्ग मीटर की दर तथा आवंटन की तिथि से वास्तविक अंतिम भुगतान तक ६ प्रतिशत की ब्याज दर से शुल्क अदा करना अनिवार्य है। कोर्ट का मानना था कि नागपुर म्हाडा इस मामले में कितना भुगतान किया गया, कितना बकाया ह, इन सभा का गुणा-भाग करने याचिकाकर्ता को आवश्यक लेखा-जोखा उपलब्ध कराएं, ताकि भुगतान बचा हो तो याचिकाकर्ता को इसकी जानकारी हो सके। गुणा भाग करने के याद यदि आवश्यकता से अधिक का भुगतान किया गया हो तो उसे वापस करना विभाग की जिम्मेदारी है। यह पूरी प्रक्रिया ८ सप्ताह में पूरी करने को कहा गया।
Powered By Sangraha 9.0