कुप्रबंधन को लेकर नागपुर सिटी बस सेवा चर्चा में

    10-May-2024
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Nagpur City Bus Service in discussion regarding mismanagement
(Image Source : Internet/ Representative)
 
नागपुर।
चूंकि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली किसी शहर की स्थिति निर्धारित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक है, इसलिए इसके अच्छी तरह से प्रबंधित होने की उम्मीद है। लेकिन पिछले डेढ़ दशक में नागपुर महानगरपालिका द्वारा संचालित सिटी बस सेवा इस कसौटी पर खरी उतरती नहीं दिख रही है। चाहे वह बसों की खरीद हो, रखरखाव-मरम्मत हो या यात्राओं का शेड्यूल हो। इन गड़बड़ियों ने सिटी बस सेवा को हद से ज्यादा बदनाम कर दिया है।
 
मनपा ने हाल ही में दस साल के लिए 250 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद, संचालन और प्रबंधन के लिए 1300 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया है। यह टेंडर विवादों में आ गया है। क्योंकि, आरोप था कि टेंडर के नियम और शर्तें एक खास तरीके से तय की गई थीं ताकि हैदराबाद की एनवी ट्रांस प्राइवेट लिमिटेड को यह ठेका मिल सके। पहले भी ऐसे कई आरोप लगे हैं। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम ने 1994 से 2007 तक नागपुर में बस सेवाएं प्रदान कीं।
 
2007 से, नागपुर महानगरपालिका ने एक ठेकेदार की मदद से बस संचालन अपने हाथ में ले लिया। मनपा एवं वंश निमय इंफ्राप्रोजेक्ट लिमिटेड के बीच एक समझौता ज्ञापन साइन किया गया। इस कंपनी ने 230 बसें खरीदीं। इसके बाद केंद्र सरकार की जवाहरलाल नेहरू शहरी पुनरोद्धार योजना (जेएनएनयूआरएम) के तहत मनपा को 240 बसें (स्टारबस) मिलीं। तब से सिटी बस सेवा विविध कारणों से चर्चा में रही है। बसों का उचित रख-रखाव व मरम्मत न होना, ठेकेदार द्वारा बसों की संख्या कम करना प्रमुख कारण हैं। इसके बाद मनपा ने केंद्र सरकार से मिली बसें ठेकेदार को चलाने के लिए दे दीं।
 
अनुबंध के मुताबिक इस कंपनी को खरीदी गई बसों के जरिए सेवा देनी थी। लेकिन मनपा पर अनुबंध में हेरफेर और करोड़ों रुपए की हेराफेरी का आरोप लगा। आखिरकार, वंश निमाय इंफ्राप्रोजेक्ट लिमिटेड द्वारा छात्रों को यात्रा किराया में दी गई छूट का मामला सामने आया और मनपा से मुआवजे की मांग की गई। नागपुर महानगरपालिका ने राज्य सरकार से मांग की, लेकिन सरकार ने मांग खारिज कर दी। कुछ दिनों तक सिटी बस सेवा बेहद खराब स्थिति में चलती रही।
 
केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई बसों का रखरखाव ठीक से नहीं किया गया। इसलिए वे बसें बर्बाद हो गईं। इसके बाद ठेकेदार कंपनी ने सिटी बस सेवा छोड़ दी। इसके अलावा नागपुर महानगरपालिका ने तीन कंपनियों से अनुबंध किया। इस दौरान नागपुर महानगरपालिका स्कैनिया कंपनी की वातानुकूलित बस लेकर आया। 25 पुरानी बसों को इथेनॉल से चलाने का प्रयोग किया गया। पर्याप्त ईंधन न मिलने के कारण प्रयोग रोक दिया गया। बाद में सीएनजी से चलने वाली 28 बसें खरीदी गईं। वर्तमान में मनपा द्वारा खरीदी गई 140 इलेक्ट्रिक बसें शहर में चल रही हैं। लेकिन शहर के सभी प्रमुख मार्गों पर यह बसें उपलब्ध नहीं हैं। इनका समय निश्चित नहीं है। इसलिए, नागपुरवासियों को ऑटो-रिक्शा, ई-रिक्शा का विकल्प ढूंढना पड़ रहा है।