खतरे में पड़ सकती है बार्टी, सारथी, महाज्योति की स्वायत्तता!

    02-Apr-2024
Total Views |
- प्रशिक्षण के लिए आठ निजी संस्थानों का होगा चयन
 
Eight private institutions will be selected for training

 
नागपुर।
एक ही नीति के नाम पर, आदिवासी अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान पुणे, बार्टी, सारथी, महाज्योति की विविध योजनाओं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और छात्रवृत्ति योजनाओं में पहले ही कटौती की जा चुकी है, अब फिर से प्रतियोगी परीक्षाओं को लागू और नियंत्रित करने के लिए आयुक्त 'टीआरआई' इस संस्थान के माध्यम से पूर्व प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। एक समिति बनाकर संस्थानों की स्वायत्तता को खतरे में डालने का आरोप लगाया जा रहा है।
 
दिलचस्प बात यह है कि यह समिति प्रतियोगी परीक्षा के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए आठ निजी संस्थानों का चयन करेगी और इस पहल के तहत उन सभी के लिए प्रशिक्षण योजना को लागू करना अनिवार्य होगा। आदिवासी छात्रों के लिए टीआरटीआई, अनुसूचित जाति और नव-बौद्धों के लिए 'बार्टी', ओबीसी के लिए महाज्योति, मराठा, मराठा-कुनबी और कुनबी-मराठा समुदायों के लिए सारथी, खुले वर्गों के कमजोर वर्गों के लिए अमृत जैसे विविध संगठन राज्य में काम कर रहे हैं। इन सभी संस्थानों के माध्यम से संबंधित कक्षाओं के छात्रों के लिए मुख्य रूप से अतिरिक्त छात्रवृत्ति, विदेशी उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति, एमपीएससी, यूपीएससी, बैंकिंग, रेलवे और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए प्रशिक्षण योजनाएं लागू की जा रही हैं।
 
लेकिन राज्य सरकार ने अक्टूबर 2023 में एकरूपता लाने के नाम पर एक समान नीति बनाने का निर्णय लिया, क्योंकि प्रत्येक संस्थान की छात्रों की संख्या, अन्य मानदंड अलग-अलग हैं। इससे प्रशिक्षण कार्यक्रमों, विदेशी छात्रवृत्तियों और पी.एच.डी. को बढ़ावा मिलता है। छात्रवृत्ति जैसी कई योजनाओं में लाभार्थियों की संख्या कम कर दी गई है। इसके विरोध में छात्रों ने राज्य भर में विरोध प्रदर्शन भी किया। इसके बावजूद यह शिकायतें सामने आ रही हैं कि एक बार फिर संगठन द्वारा संचालित प्रतियोगी परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण कार्यक्रमों के क्रियान्वयन एवं नियंत्रण के लिए समिति बनाकर वंचित वर्ग के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया जा रहा है।
 
बार्टी, सारथी, महाज्योति से लेकर विविध प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए निजी संस्थानों का चयन टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है। लेकिन अब 'टीआरआई' की अध्यक्षता में बनी कमेटी के कारण यह व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। सभी को आठ प्रशिक्षण संस्थानों का चयन कर उनके माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करना अनिवार्य होगा। दिलचस्प बात यह है कि इन सभी संस्थानों का नेतृत्व आईएएस रैंक के अधिकारी कर रहे हैं। इसके अलावा, सभी संगठनों में एक निदेशक मंडल होता है। इस बीच, यह आरोप लगाया गया है कि नए संस्थान इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों को नियंत्रित करके संस्थानों के निदेशक मंडल और प्रबंध निदेशक, महानिदेशकों के अधिकारों का अतिक्रमण कर रहे हैं।
 
आगे भी यही नीति पर होगा अमल
यह फैसला संगठन की स्वायत्तता पर सीधी चुनौती है। सभी संस्थानों की स्थापना विविध समूहों के छात्रों की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति का अध्ययन करने के बाद की गई है। उनकी नीतियां, नियम, उद्देश्य अलग-अलग हैं। स्टूडेंट हेल्पिंग हैंड संस्था के कुलदीप अंबेकर ने आरोप लगाया है कि उसी नीति को आगे बढ़ाकर इस ढांचे को बदलने का प्रयास किया जा रहा है।
सरकार के निर्णय के अनुसार कमेटी का गठन किया गया है। यह सभी प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में समानता लाने का एक प्रयास है। हमने इस संबंध में सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है, ऐसा प्रतियोगिता परीक्षा कार्यान्वयन एवं समन्वय समिति आयुक्त एवं अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र भारुड़ ने बताया।