मुख्यमंत्री की घोषणा गलत - विधायक सुधाकर अडबाले

    04-Mar-2024
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- पुरानी पेंशन योजना बिना शर्त लागू करने की मांग

MLA Sudhakar Adabale 
 
नागपुर।
हाल ही में मुख्यमंत्री ने विधानसभा में राज्य में 1 नवंबर 2005 और उसके बाद नियुक्त कर्मचारी अधिकारियों के लिए संशोधित राष्ट्रीय पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की थी। इस विषय पर विधायक सुधाकर अडबाले (MLA Sudhakar Adabale) ने आलोचना करते हुए कहा कि यह घोषणा शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के साथ अन्याय है और चुनाव के मद्देनजर की गई यह घोषणा शिक्षक समुदाय के साथ साफ़ धोखाधड़ी है।
 
पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर शिक्षक व गैर शिक्षण कर्मचारी पिछले कई वर्षों से सरकार से संघर्ष कर रहे हैं। इसी संघर्ष के चलते वित्त विभाग ने 14 मार्च 2023 को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली और पुरानी पेंशन योजना का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए एक समिति गठित करने का सरकारी निर्णय जारी किया। समिति की रिपोर्ट में आठ महीने लगे। विधायक सुधाकर अडबाले लगातार सरकार से मांग कर रहे थे कि कमेटी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाए और पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।
 
बजट सत्र 2024 के आखिरी दिन मुख्यमंत्री ने विधानसभा में राज्य में 1 नवंबर 2005 और उसके बाद नियुक्त कर्मचारी अधिकारियों के लिए संशोधित राष्ट्रीय पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की। इस योजना में, निर्धारित आयु (सेवा के 30 वर्ष पूरे होने पर) पर सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी यदि प्रस्तावित योजना का विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें उनके अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत और मुद्रास्फीति जोड़ के 60 प्रतिशत जोड़ के बराबर पेंशन मिलेगी। पारिवारिक पेंशन प्लस मुद्रास्फीति का भी विश्लेषण किया जाएगा। पुरानी पेंशन योजना में पेंशन पाने पर कोई कटौती नहीं होती है।
 
हालांकि, इस योजना में एनपीएस की तरह अंशदान पर 10 फीसदी कटौती की छूट मिलती रहेगी। पुरानी पेंशन योजना में, निश्चित आयु पर सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को अंतिम वेतन का 50% पेंशन पाने के लिए केवल 10 वर्ष की सेवा पर्याप्त थी। इस योजना में 30 वर्ष की सेवा शर्त होगी। पुरानी पेंशन योजना में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए 20 वर्ष की सेवा पर्याप्त थी। इसलिए इस योजना में ऐसा कोई नियम नहीं है। वेतन आयोग की सिफारिशें 1982 की पुरानी पेंशन योजना के तहत आने वाले कर्मचारियों पर लागू होती हैं, हर 10 साल में पेंशन को नए वेतन आयोग के अनुसार संशोधित किया जाता है, जिससे पेंशन मूल लगभग दोगुनी हो जाती है। इसलिए इस योजना का नए वेतन आयोग के अनुसार पेंशन पुनर्गठन से कोई लेना-देना नहीं होगा। कर्मचारी जिस मूल पेंशन पर सेवानिवृत्त हुआ है, उसे जीवन भर उसी मूल आधार पर पेंशन मिलेगी।
 
इससे पुराने पेंशन धारकों की पेंशन चार-पांच गुना पीछे हो जाएगी। पुरानी पेंशन योजना में हर 6 महीने में पेंशन पर महंगाई भत्ता 5 से 6 फीसदी बढ़ जाता है, लेकिन इस योजना में डीए में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। साथ ही पुरानी पेंशन स्कीम में किस्त वाली पेंशन भी बेची जा सकती है। जीपीएफ की धनराशि ब्याज सहित प्राप्त हुई। इस नई योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है। साथ ही राज्य भर के स्कूलों में कार्यरत शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी जो 1 नवंबर 2005 से पहले नियुक्त हुए थे और उसके बाद धीरे-धीरे 100 प्रतिशत अनुदान पर आए थे, उन्हें इस योजना में शामिल नहीं किया गया है। सरकार समान काम करने वाले कर्मचारियों को असमान पेंशन देने की योजना बना रही है और सरकार कर्मचारियों के बीच फूट पैदा करने का काम कर रही है। इससे राज्य के शिक्षक एवं गैर शिक्षक कर्मचारियों में सरकार के प्रति गहरा असंतोष व्याप्त है।
 
पुरानी पेंशन योजना की मांग के बीच मुख्यमंत्री द्वारा संशोधित पेंशन योजना की घोषणा फर्जी और कर्मचारियों के भविष्य को अंधकार में डालने वाली है। यह चुनाव की पूर्व संध्या पर सरकार द्वारा दिया गया एक गाजर है और शिक्षक और सरकारी कर्मचारी इसके शिकार नहीं होंगे। शिक्षक राज्य कर्मचारियों के संघर्ष के कारण जो सरकार नकारात्मक थी वह आज सकारात्मक होती नजर आ रही है। इसके चलते विधायक सुधाकर अड़बाले ने बताया कि सरकार द्वारा 1982-84 की पुरानी पेंशन योजना को बिना किसी शर्त के लागू कराने के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी।