-परिवार मे दादा दादी का होना भारतीय संस्कृति का प्रतीक: अनिल देशमुख
काटोल।
अनुभव मनुष्य का सबसे बड़ा शिक्षक हैl एक वृद्ध व्यक्ती के पास अनुभव का खजाना होता है। इसी खजाने के कारण दादा दादी संस्कारों का बीजारोपण अपने अपने परिवार में कर रहे हैं। परिवार मे दादा दादी को दिया जाने वाला ऊंचा स्थान भारतीय संस्कृती का प्रतीक है, इस आशय के विचार विधायक एवं राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने व्यक्त किए। माउंट कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल काटोल में दादा दादी का सम्मलेन शनिवार 3 फरवरी को आयोजित किया गया। सम्मलेन के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथी के स्थान से विधायक अनिल देशमुख उपस्थित अभिभावकों एवं बच्चों को संबोधित कर रहे थे।
समारोह की अध्यक्षता माउंट कार्मेल स्कूल की निर्देशिका प्राचार्य विमल ग्रेस ने की। पुलिस निरीक्षक निशांत मेश्राम, उप प्राचार्य सिस्टर नव्या, सिस्टर सौरुपया, सिस्टर प्रसन्ना, सिस्टर सजीवा अतिथियों के स्थान पर विराजमान रहे। प्राचार्य विमल ग्रेस ने कहा की, आधुनिक तकनीक के युग मे एकल परिवार प्रथा बढ रही है, लेकिन इस से बच्चों में संस्कार की कमी आ रही है। जिन परिवारों में दादा दादी हैं वहां के विद्यार्थीयों के जीवन में सफल होने की संभावना बहुत अधिक होती है। जीवनशैली बदल रही है तो, रिती, रिवाज, परंपराओ और रुढियों का समाज मे अबाधित स्थान है।
इस अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। नन्हे नन्हे बच्चों ने आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किए। कल्याणी देशमुख, हर्षा गजबे ,नम्रता कडू, संपदा देवघरे, नीलिमा राजस, भारती धवराल, रिता जॉर्ज, दिपाली निशाने, माधुरी फुके, सपना कांमडी, कांचन वालके ने सराहनीय नृत्य परफॉर्मेंस प्रस्तुत किया। प्रकाश अतकरणे, विपिन राऊत, प्रीती सातपुते, सुनिता अतकरणे, आरती ढोले, रेणुका भोयर, वैशाली फरतोडे, शितल दाऊतपुरे, ने कार्यक्रम के सफल आयोजन में सहयोग दिया। "दादाजी की छडी हूं मैं", "दादी अम्मा, दादी अम्मा, मान जाओ" इस नृत्य ने सभी का मन जीत लिया और समारोह के आकर्षण का केंद्र बना। कार्यक्रम का संचालन वैशाली पेंढारकर और प्रतिमा पेंढारकर ने किया। विकल परमाल, डॉक्टर राजू कोतेवार, पदमा परमाल, राधा चौहान, चेतना परमाल, अमित काकडे, रवींद्र गजघाटे, के साथ सभी विद्यार्थीयो के दादा-दादी, नाना- नानी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।