नागपुर।
दरगाह आला हजरत बाबा सैयदना शाह जलालुद्दीन औलिया मिर-ए-सुर्ख रहमतुल्लाह अलैह मीठा नीम शरीफ, विधान भवन के पास सिव्हील लाईन नागपुर में 213 वे सालाना (वार्षिक) उर्स मुबारक, सज्जादानशिन जनाब मोहम्मद अब्दुल कादीर खान कादरी उर्फ बाबाजान व फर्जुनदान (सन्स) साहेबान की जानीब से मंगलवार 6 फरवरी 2024 से शनिवार 10 फरवरी 2024 (25 रज्जब से 29 रज्जब 1445 हिजरी)। तक शानदार पैमाने पर हमेशा के मुताबिक बहुत ही उत्साह पूर्वक मनाया गया।
6 फरवरी 2024 (25 रज्जब) बरोज़ मंगलवार आगाजे उर्स मुबारक हुआ। 7 फरवरी 2024 (26वी शरीफ व शबे मेराज) बरोज बुधवार सुबह 6.30 बजे दरगाह मीठा नीम शरीफ में जुनियर सज्जादगान मास्टर मोहम्मद मोईनुद्दीन खान कादरी व मास्टर मौहम्मद शफीउद्दीन खान कादरी साहेबान के हाथों कुशाई (झंडा वंदन) की रस्म अदा की गई। परचम उसी दिन दरगाह शरीफ में बाद नमाज़े जोहर दोपहर 3 बजे श्रीमंत राजे मुधोजीराव भोंसले साहब, नितिन गडकरी साहब (परिवाहन मंत्री), नाना पटोले साहब (प्रदेश अध्यक्ष, महाराष्ट्र), विकास ठाकरे (विधायक), हाजी अनीस अहमद साहब (पुर्वमंत्री) महाराष्ट्र, दयाशंकर तिवारी (पूर्व महापौर) व नागोर शरीफ के सज्जादानशीन जनाब हाजी एस.टी.एम. इमाम हुसैन साहब दरगाह शरीफ में मज़ारे अक़दस पर चादर शरीफ व फूल पेश किए व 26वी शरिफ के कार्याक्रम में दरगाह शरिफ में उपस्थित थे। उसी दिन तारीख 7 फरवरी 2024 दिन बुधवार (26 रज्जब) शाम 6 बजे सज्जादा नशीन कादरी साहब व फर्जनदान साहेबान की तरफ से शाही दरबारी संदल शरीफ दरगाह मीठा नीम शरीफ से निकलकर शहर का गश्त करता हुआ वापस दरबार मीठा नीम शरीफ पहुंचा।
इसके बाद 26 वी शरीफ के जलसे का तिलावते कुरानेपाक से आग़ाज़ किया गया। इसके बाद नितिन गडकरी साहेब (परिवाहन मंत्री) ने अपने भाषण में कहा कि यह एक बहुत ही मुकदद्स व पाक मुकाम है, यह एक यकजहैती व आपस मे प्यार व मुहब्बत बढ़ाने की बेमिसाल जगह है। यहां पर लाखों को तादाद में सभी धर्मो के लोग जमा होते हैं और साथ ही उन्होंने कहा कि हमें बेहद अफसोस है कि हज़रत बाबा साहब के 213वां सालाना (वार्षिक) उर्स के मौके पर सज्जादानशीन जनाब कादरी साहब और फर्जनद हाजी मोहम्मद सलीमुद्दीन खान कादरी साहब हमारे बीच नहीं है। लेकिन उनकी रूह (आत्मा) हमारे बीच मौजूद है। उन्होंने (श्री कादरी साहब) ने अपने तमाम ज़िन्दगी इस दरगाह शरीफ की ख़िदमत (सेवा) करने में गुज़ारी और उन्होने कहा कि मुझे इस दरगाह से बहुत ही दिलीसुकून हासिल हुआ व शांती मिली।
नाना पटोले (प्रदेश अध्यक्ष, महाराष्ट्र) ने अपने भाषण में कहा के यह भगवान के सच्चे दोस्त हैं, यहां पर हर धर्म के लोग हर दिन आते है। नागोर शरीफ की दरगाह के सज्जादानशीन जनाब हाजी एस.टी.एम. इमाम हुसैन सहाब ने कहा कि मैं यहां पर मुखतलीफ धर्मों के लोगों को एक जगह देख रहा हूं कि, वे कंधे से कंधे मिलाकर ज़ियारत करते हैं, जो कौमी एकता का प्रतीक है। सज्जादानशीन जनाब कादरी साहब के बड़े साहेबज़ादे (पुत्र) जनाब मोहम्मद निज़ामुद्दीन खान कादरी साहब ने कहा कि बाबा सैयद जलालुद्दीन औलिया भोसला राजा की अरब रेजिमेंट में सेनापती थे और अक्सर नीम के पेड़ के नीचे नमाज पढ़ते व यादे ईलाही में मगन रहते थे।
आज इसी नीम के पेड़ के नीचे बाबा आराम करते हैं, और आपके फैज़ से यह नीम का पेड़ मीठा हो गया और इसलिए मीठा नीम दरगाह के नाम से यह दरगाह पुरे हिन्द में मशहूर हो गई। 10 फरवरी 2024 मुताबिक (26 रज्जब) बरोज शनिवार को रस्मे कुल शरीफ में दरगाह मीठा नीम शरीफ में बाईज़्ज़त लोग जमा हुए सभी साहेबान की दस्तारबंदी साहबज़ादे सज्जादानशीन जनाब मोहम्मद निज़ामुद्दीन खान कादरी ने की और सलातो सलाम के बाद सज्जादानशीन मरहूम जनाब कादरी साहब के लिए दुआ-ए-मग़फ़ीरत की गई और बाद में दरबारी लंगर वितरण किया गया।
साहबज़ादे सज्जादानशीन जनाब मोहम्मद निज़ामुद्दीन खान कादरी साहब ने हमें बताया कि सालाना सालाना उर्स के लिए या छह माही उर्स के लिये या और कोई काम के लिए इस दरगाह शरीफ में कोई चंदा वगैरा नहीं होता है, बल्कि जो खुद से कोई काम (सेवा) करना चाहे तो उसको इजाज़त दी जाती है। इसलिए की बाबा साहब की ख़िदमत (सेवा) उनके खानदान में तकरीबन 213 सालों से यानी तीन पीढ़ीयों से चली आ रही है। यहां पर दरगाह मीठा नीम शरीफ के नाम से या और कोई नवजवान कमेटी के नाम से कोई कमेटी वगैरा नहीं है और साहबजादे साहाब का कहना है कि दरगाह शरीफ में जो भी अकीदतमंद (श्रद्धालू), मुरादमंद या ज़ायरीन (दर्शनार्थी), जिस किसी को भी नज़राना वगैरह देना हो तो वह खुद दरगाह शरीफ में जाकर साहेबज़ादे सज्जादानशीन जनाब मोहम्मद निज़ामुद्दीन खान कादरी साहब को ही दें।