कई सहकारी कपड़ा उद्योगों में अन्य व्यवसाय शुरू

    15-Feb-2024
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- टेक्सटाइल कंज्यूमर फाउंडेशन ने हाई कोर्ट में लगाया आरोप

Many cooperatives started other businesses in textile industries
(Image Source : Internet/ Representative)
 
नागपुर।
राज्य सरकार की मेहरबानी से कई सहकारी कपड़ा उद्योग अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इन कपड़ा उद्योगों के परिसरों को किराए पर दे दिया गया है।
 
टेक्सटाइल कंज्यूमर फाउंडेशन ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सनसनीखेज आरोप लगाया कि कपड़ा उद्योग के अलावा अन्य व्यवसाय भी इन परिसरों में चल रहे हैं। इस संबंध में फाउंडेशन की जनहित याचिका हाईकोर्ट में लंबित है। इसकी सुनवाई न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और अभय मंत्री के समक्ष हुई। इसी बीच फाउंडेशन ने यह आरोप लगाया और सरकार से जरूरी आदेश जारी करने की मांग की। इसके बाद कोर्ट ने सरकार से 21 फरवरी को इस मसले पर स्पष्टीकरण देने को कहा। फाउंडेशन ने जनहित याचिकाओं में सहकारी कपड़ा उद्योगों के खिलाफ विविध मुद्दे भी उठाए हैं।
 
राज्य सरकार ने सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए सहकारी कपड़ा उद्योगों में 2,500 से 3 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया है। यह रकम लाभांश और ब्याज सहित 20 साल के भीतर सरकार को लौटानी होती है। लेकिन, पिछले 60 सालों में सिर्फ 2 फीसदी रकम ही सरकार को वापस मिल पाई है। वर्तमान में सरकार को सहकारी कपड़ा उद्योगों से दंडात्मक ब्याज सहित लगभग 4,500 करोड़ रुपए की वसूली करनी है। इसके अलावा सरकार ने सहकारी कपड़ा उद्योगों को 158 करोड़ रुपए का पुनर्वास ऋण भी दिया है, जिसे भी नहीं चुकाया गया है। ब्याज सहित यह कर्ज बढ़कर करीब 600 करोड़ रुपए हो गया है।
 
राज्य सरकार सहकारी कपड़ा उद्योगों को बिजली दरों में सालाना लगभग 2 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी भी देती है। साथ ही सहकारी कपड़ा उद्योगों पर बैंकों का करीब 2,500 करोड़ रुपए बकाया है। हालांकि, इस राशि की वसूली के संबंध में महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं है। सहकारी कपड़ा उद्योगों ने सरकार को भारी वित्तीय हानि पहुंचाई है। इसलिए, फाउंडेशन का कहना है कि सहकारी कपड़ा उद्योगों को वित्तीय सहायता अब बंद कर दी जानी चाहिए। फाउंडेशन की ओर से अधिवक्ता चारुहास धर्माधिकारी ने कार्य का अवलोकन किया।